छत्तीसगढ़ में 1857 की क्रांति के प्रथम शहीद सोनाखान के जमींदार क्रांतिवीर नारायण सिंह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शिवनाथ, रेवा, रेंड,महानदी इंद्रावती घाटी की माटी के वीर सपूतों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

महाकौसल इतिहास परिषद (संस्थापक पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय 1920 ई ) एवं इतिहास विभाग पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में दिसंबर 1975 में प्रथमतः शहीद हुए नारायण सिंह बलिदान दिवस का आयोजन प्रारंभ किया गया। 10 दिसंबर 2024 को 50वाँ वर्ष होने जा रहा है आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र सचिव ने यह परंपरा प्रारंभ की माननीय श्री कौशल प्रसाद चौबे , मुख्य अतिथि श्री हरि ठाकुर एवं अध्यक्षता डॉ ध्यानेश्वर अवस्थी ने किया , विश्वविद्यालय के अध्यापक,अध्येता, अन्वेषक उपस्थित रहे। 1856 में सोनाखान जमींदार में भयंकर अकाल पड़ा भूख पीड़ित जनता की सेवा एवं सहायता जमींदार ने की अधिकार के तहत कोठी में जमा व्यापारी के गोदाम से अनाज निकलवा कर उन में बंटवाया गया वस्तुतः यह एक भूख से उपजी क्रांति की चिंगारी थी जो 1857 की क्रांति में क्रांति वीर नारायण सिंह के नेतृत्व में धड़क उठी।व्यापारी की शिकायत पर संबलपुर जाते समय मार्ग में जमींदार को गिरफ्तार कर रायपुर जेल में रखा गया क्रांति काल में वहां के सिपाही एवं सैनिकों ने उनको सुरंग रास्ते से जेल से बाहर निकलने में मदद की। सोनाखान में 500 विश्वस्त सिपाहियों के साथ अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया प्रारंभ में अंग्रेज घबराए पर आसपास के विश्वासघात जमीदारों ने,लोगों ने उनकी मदद की अंग्रेजों ने गांव में आग लगा दी बच्चे और बूढ़ों को तँगाया गया कुर्रूपाट पहाड़ी से नारायण सिंह चर्चा हेतु अंग्रेजों के समक्ष आए उन्हें गिरफ्तार कर रायपुर जेल भेज दिया गया। 10 दिसंबर 1857 को उनको सैन्य परेड एवं जनता के समक्ष फांसी दे दी गई महानदी की घाटी एवं छत्तीसगढ़ की माटी की रक्षा के लिए उन्होंने अपना प्राणोत्सर्ग कर सर्वस्व अर्पण कर दिया।वहां उपस्थित सैनिकों में वीर हनुमान सिंह राजपूत ने संकल्पित होकर 18 जनवरी 1858 को फौजी छावनी में विद्रोह कर दिया वह तो गिरफ्तार नहीं हो सके पर उनके 17 साथियों को गिरफ्तार कर अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दे दी। बलिदानी वीरों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए उसमें सभी जाति एवं धर्म के लोग थे।

1857 – 58 की क्रांति में 18 लोगों ने प्राण न्योछावर कर दिए।छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी छठवीं सातवीं पीढ़ी के वंशजों को पेंशन, जमीन, निवास की सुविधा प्रदान की जिसमें भाजपा शासन काल में डॉ.रमन सिंह मुख्यमंत्री का विशेष योगदान रहा इतिहासकार आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र के मार्गदर्शन में उनका परिवार सुझावानुरूप विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं।रायपुर में 1857 के क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी इसका तथ्यगत प्रमाण 9 दिसंबर 1857 का पत्र है तोप से उड़ाने की बात संभवतः मिथ्या है प्रथमतः पी-एच.डी. डॉ. श्रीमती सुनीत मिश्रा ने किया है और उनकी पुस्तक को मध्य प्रदेश शासन एवं छत्तीसगढ़ शासन ने प्रकाशित किया है।राजभवन चौक के पास एक प्रतीकात्मक चिन्ह प्रक्षेपास्त्र की तरह बना हुआ है अतः इतिहासकार आचार्य रमेंद्रनाथ नाथ के प्रयास से क्रांति वीर नारायण सिंह का काल्पनिक चित्र बनवाया गया प्रतिमा का निर्माण हुआ जो जय स्तंभ चौक रायपुर एवं सोनाखान में लगा है अब नया रायपुर में वीर नारायण सिंह संग्रहालय में घोड़े पर सवार हाथ में तलवार लिए हुए विरोचित चित्र एवं मूर्ति जिससे भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।क्रांतिवीर नारायण सिंह के सातवीं पीढ़ी के श्री राजेंद्र सिंह दीवान के साथ जाकर आचार्य रमेंद्रनाथ नाथ मिश्र ने मुख्यमंत्री को आमंत्रित कर 10 दिसंबर 2024 के कार्यक्रम हेतु आग्रह किया एवं सोनाखान परिवार के बारे में अवगत कराया।

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