आज छत्तीसगढ़ राज्य का बजट विधान सभा छत्तीसगढ़ के असवेदनशील मुख्यमंत्री ने पेश किया जो एक झूठ के पुलिंदे के अलावा कुछ भी नहीं है। इस बजट में मुंगेरीलाल के हसीन सपनों को आंकड़ों के मायाजाल के माध्यम से सजाया गया है।
2018 के विधान सभा चुनाव में आँगनबाड़ी मितानिन बहनों, संविदाकर्मियों, अनुकंपा नियुक्ति, मध्यान भोजन रसोइये, सफाई कर्मचारियों और मंत्रालय से लेकर न्यायालय तक के अधिकारी कर्मचारियों के लिए अनेक घोषनायें की थी। बेरोजगारो को 2500 रुपये प्रति माह देने की बात कही थी साथ ही साथ सट्टा जुआ शराब बंद करने, अपराध कम करने, माताओ बहनो की सुरक्षा करने, भ्रष्टाचार खत्म करने, किसानो की आय बढ़ाने के तमाम वादे कर सत्ता प्राप्त किए थे। मगर आज तक इनमें से कोई एक भी वादा इस नकारा सरकार ने पूरा नहीं किया है।
कांग्रेस के राज मे आज छत्तीसगढ़ राज्य 60,000 करोड़ से अधिक के कर्ज के गर्त मे डूब चुका है। यह असंवेदनशील मुख्यमंत्री और पूरी सरकार साढ़े चार वर्ष तक अपनी मस्ती व भ्रष्टाचार मे आकंठ डूबे रहे है और चुनावी वर्ष आते ही आकड़ों का मायाजाल बिछाकर छत्तीसगढ़ की भोली-भाली जनता को अपने मकड़जाल मे फसाने का असफल प्रयास कर रहे है।
छत्तीसगढ़ राज्य के 16 लाख गरीबों के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले आवासों को छीनने का फैसला असंवेदनशील मुख्यमंत्री के दिवालियेपन को प्रदर्शित करता है। आंकड़ो के मायाजाल से तैयार किए गए बड़े आकार के झूठे बजट को पेश करके इस भ्रष्ट सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य की गरीब जनता के जख्मों पर नमक छिड़का है। आज राज्य की जनता समझ चुकी है कि यह बजट भरोसे का नहीं धोखे का बजट है।
पिछले 2 वर्षों से संविदा कर्मचारीगण, आँगनबाड़ी एवं मितानिन बहने, अनुकंपा नियुक्ति वाले, मध्याहन भोजन रसोइये, सफाई कर्मचारीगण और मंत्रालय से लेकर न्यायालय तक 100 से अधिक संगठन के अधिकारी कर्मचारी चरणबद्द हड़ताल दर हड़ताल मे है, ऐसे मे दिखावापन क्यों मुख्यमंत्री जो वित्तमंत्री भी है बेरोजगारी की दर 0.1% होने की बात कर रहे है और बेरोजगारो को आखिरी समय में 2500 रुपए प्रतिमह देने की बात कर रहे है। क्या सरकार ने इससे संबन्धित कोई आंकड़े जुटाये है और यदि नहीं तो ये खोखली घोषनाये किसलिए की जा रही है। छत्तीसगढ़ की जनता इस बात को भलीभांति जानती है और इस वर्ष होने वाले विधान सभा चुनाव मे निरंकुश, झूठे फरेबी, धोखेबाज, भ्रष्ट कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने को आतुर है।