* रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी स्थित बूढ़ातालाब धरना स्थल सत्तारूढ़ जिम्मेदार नेताओं द्वारा बिना किसी विकल्प के बिना किसी चर्चा के 3 दिन में हटाने, न हटने पर वहां जबरिया दीवाल बना देने की धमकी से प्रदेश के लाखों कर्मचारी दुखी हैं और ऐसी क्रिया पर प्रतिक्रिया स्वाभाविक है, ऐसा तो नहीं कि लोकतंत्र की हत्या कर वहां भी कोई कांप्लेक्स बनाने की योजना है। कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने कहा है कि कालांतर में धरना स्थल 30 साल पूर्व जयस्तंभ चौक में हुआ करता था। आबादी बढ़ने ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए यह धरना स्थल शास्त्री चौक स्थानांतरित हुआ, जहां 45 दिन तक लिपिक वर्गीय कर्मचारियों ने वर्ष 91-92 में लंबा आंदोलन किया था। उसके बाद धरना स्थल संविधान निर्माता डॉं भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा चौक पर हुआ। उसके बाद धरना स्थल मोतीबाग निर्धारित किया गया, जहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी न निकलने के कारण राजीव गांधी प्रतिमा के नीचे धरना स्थल हटाकर बूढ़ा तालाब स्थानांतरित किया गया तथा वहां राजीव गांधी जी की प्रतिमा स्थापित की गई।अब बूढ़ातालाब से धरना स्थल हटाने के लिए जिस हिसाब से जनप्रतिनिधि उतावले हैं यह निंदनीय है। कर्मचारी संगठनों की मान्यता है जबरिया धरना स्थल हटेगा, तो आठ माह बाद सरकार भी हट जाएगा। स्वयं महापौर जी ने स्वीकार किया कि धरना स्थल हटाने हेतु एक कमेटी का गठन किया गया है। जिसमें चारों विधायकगण, महापौर, कलेक्टर आदि है। कहीं भी मीडिया के प्रतिनिधि प्रेस क्लब के अध्यक्ष, कर्मचारी संगठनों व ट्रेड यूनियन के किसी नेता को कमेटी में नहीं रखा गया है। आंदोलनकारी संगठनों से बिना चर्चा किए जबरिया नवा रायपुर धरना स्थल स्थापित करने के लिए निरंतर दबाव बनाया जा रहे हैं। वही पक्ष और विपक्ष वर्तमान सरकारों पूर्ववर्ती सरकार राजधानी में बड़े-बड़े धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नवा रायपुर नहीं जाते। स्कूल सफाई कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष खांडेकर के नेतृत्व में नवा रायपुर में स्कूल सफाई कर्मचारियों ने रैली निकाली थी। जहां महिलाओं के लिए प्रसाधन व सुरक्षा का आभाव खुला जंगल मैदान है। कोई मीडिया के साथी भी वहां समाचार संकलन के लिए नहीं जाएंगे। धरना प्रदर्शन विरोध को समाप्त करने के लिए धरना स्थल को 28 किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर तथा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू कर कर्मचारियों के हकों को दबाया जा रहा है। सत्तारूढ़ नेतागण कभी यह विचार नहीं करते कि धरना प्रदर्शन करने का किसी को शौक नहीं है। स्वयं 5 साल पहले उसी स्थान पर धरना प्रदर्शन किए थे और आठ माह बाद फिर उसी स्थान पर धरना प्रदर्शन करेंगे। ऐसी स्थिति में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चर्चा के माध्यम से रायपुर नगर निगम सीमा में ही धरना स्थल स्थापित किया जा सकता है। दबाव बनाने शव यात्रा रुकना, स्कूली छात्रों का रुकना, व्यापारियों को क्षति होना बताकर कलेक्टर के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है। आंदोलन के दौरान ठेले वाले सामग्री बेचते हैं। एक तरफ का सड़क उन्हीं के कारण रुका रहता है। लेकिन छोटे व्यापारी धरना प्रदर्शन से प्रतिदिन हजारों रुपए कमा कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।कर्मचारी नेता श्री झा ने कहा है दीवाल उठा देंगे, गोली मार देंगे, ऐसी तत्परता बूढ़ा तालाब धरना स्थल को हटाने के लिए करना, इस बात को सशंकित करता है कि रायपुर राजधानी के सिंचाई कॉलोनी की भांति बूढ़ातालाब में भी कोई व्यवसायिक कांप्लेक्स बनाने की गुप्त योजना तो नहीं है। हर स्थिति में बिना चर्चा के कर्मचारी संगठन को बिना विश्वास में लिए बूढ़ा तालाब धरना स्थल हटाने का विरोध जारी रहेगा।