रायपुर। नरेंद्र मोदी सरकार के चुनाव पूर्व अंतिम बजट में महंगाई रोकने की इच्छाशक्ति का अभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है। देश के कर्मचारियों को दूध देने वाली जर्सी गाय समझा गया है। 3 लाख रू तक आयकर सीमा में वृद्धि कर एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व वाहन चालक को भी आयकर सीमा के दायरे में रखा गया है। वृद्धावस्था सुरक्षा शून्य बटे सन्नाटा है क्योंकि पूरे देश में पुरानी पेंशन योजना लागू न करना वह नई अंशदाई पेंशन योजना में 18 वर्षों की राशि की वापसी पर बजट में कोई चिंता नहीं किया गया है। उन्हें पूरे देश में वृद्धजनों सेवानिवृत्तों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं किया गया है। गैस सिलेंडर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि करने से सुई से जहाज तक की कीमतों में वृद्धि होगी। कुल मिलाकर मध्यम श्रेणी नागरिकों को छला गया है। युद्ध के हालात में सेना के जवानों के बजट में पर्याप्त वृद्धि नहीं की गई है। महिला सुरक्षा व बेरोजगारी पर भी ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। किसानों को उत्पादन शुल्क व कुल व्यय राशि से न्यूनतम 10% अधिक विक्रय मूल्य निर्धारण की सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है। किसानों के उत्पाद हमेशा घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं। उसका प्रत्यक्ष उदाहरण टमाटर उत्पादक टमाटर को सड़कों में फेंक रहे हैं।कुल मिलाकर बजट आंकड़ों का मायाजाल प्रगट हो रहा है।