खबर हेमंत तिवारी,छुरा… एक ओर सरकार वनाधिकार पत्र प्रदान करने को लेकर काफी संजीदा नजर आती है तो वहीं दुसरी ओर प्रशासनिक स्तर पर आज भी कई आवेदकों को वनाधिकार पत्र पाने हेतु प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर लगाने मजबूर नजर आते हैं कुछ आवेदन कर्ताएं ग्राम पंचायत भैरा नवापारा और आप पास के गांव साजापाली गोदलाबाहरा से हैं जिन्हें वनाधिकार नहीं दी गई है जिसे लेकर वे अनुविभागीय कार्यालय छुरा में पहुंच कर आवेदन लगाया है।आवेदन कर्ता मे एक व्यक्ति के नाम से स्थल मौका जांच हेतु विभागीय पत्राचार जारी की गई जिसमें अन्य लोगों का जिक्र नही होने से भ्रम की स्थिति आ गई है। फलस्वरुप पुन:संयुक्त हस्ताक्षर युक्त आवेदन दिया गया है जिसमें आवेदकों की मानें तो आदिवासी एंव अन्य परम्परागत वननिवासीयों ने वन अधिकार अधिनियम दिनांक 13 दिसम्बर 2005 लागू वर्ष 2006और क्रमश: संशोधन अधिनियम 2012 के अन्तर्गत तीन पीढ़ियां से निवासी व कब्जा करने का साक्ष्य प्रस्ताव मौजुद है।परन्तु छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पुर्व से कब्जा किये अतिगरीबों को वनाधिकार मान्यता पत्र से वंचित रहना वितरण की गई वन अधिकार मान्यता पत्र धारकों के लिये प्रश्न चिन्ह जांच का विषय बन गई है।निरन्तर वनों पर दबंगों अनैतिक अतिक्रमण कई जगहों पर होना वन विभाग की मौन, राजस्व सहित समस्त संबधित विभागों के द्वारा शिकायतकर्ताओं की अनदेखी ,रहस्यमय और समझ से परे दिखाई देती है।