हर भाजपाई चक्रव्यूह तोड़ने में माहिर है कांग्रेस का अभिमन्यू

  • ताम्रध्वज के सामने भाजपाई मैदान पूरी तरह साफ

उतई@रोशन सिंह। 2018 में जब कांग्रेस आलाकमान ने तत्कालीन सांसद ताम्रध्वज साहू को विधानसभा चुनाव लड़वाने का फैसला किया तो कई लोगों को यह फैसला असहज लगा था, लेकिन यह साहू के लिए चुनौती के साथ ही मील का पत्थर भी साबित होने वाला था। एक चुनाव को छोड़ दें तो ताम्रध्वज साहू अब तक अपराजेय रहे हैं। और विरोधियों के हर चक्रव्यूह को तोड़ने में वे माहिर है और ऐसा उन्होंने साबित भी किया। चुनाव जीतने के बाद उन्हें गृह, जेल,पीडब्ल्यूडी , धर्मस्व, पर्यटन व कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए। विपक्ष भले ही कोई भी आरोप लगाए, किन्तु हकीकत यह है कि छत्तीसगढ़ के प्रभावशाली मंत्री रूप में ताम्रध्वज साहू ने बखूबी अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। तीन महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और दुर्ग ग्रामीण सीट में विपक्ष पूरी तरह साफ है।

अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ के सत्ता और संगठन में कुछ आमूलचूल परिवर्तन हुए। पार्टी से नाराज़ चल रहे टी एस सिंह सत्ता संतुलन के लिहाज से ड्यूटी सी एम का पद दिया गया। ऐसे में एक और कद्दावर नेता ताम्रध्वज साहू का कद बढ़ाया जाना भी जरूरी था। इसलिए साहू को वह कृषि मंत्रालय दिया गया तो भूपेश बघेल सरकार की रीढ़ हैं। कहने का आशय यह कि ताम्रध्वज साहू कद के लिहाज से कहीं कमतर न हों, इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखा गया। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ताम्रध्वज साहू के जरिए छत्तीसगढ में साहू समाज को अपने साथ रखने की रणनीति को भी अमल में ला रही है।

बस्तर और सरगुजा संभाग में आदिवासियों के बीच लीड हासिल करने के बाद अब कांग्रेस ने ओबीसी पर फोकस किया है। सीएम भूपेश स्वयं ओबीसी वर्ग से हैं और कुर्मी सामज से आते है ऐसे में ओबीसी का ही एक दूसरा और बड़ा वर्ग साहू समाज को भी साथ लेने की जरूरत थी ज्ञात हो कि 2018 से पहले तक साहू समाज भाजपा के पक्ष में खड़ा रहा था किंतु ताम्रध्वज साहू को विधानसभा टिकट मिलने के बाद यह समाज कांग्रेस के पक्ष में आ गया। दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र को बात करे तो हाईप्रोफाइल इस क्षेत्र में कोरोना काल को छोड़ दे खूब काम हुऐ है विकास एक सतत प्रक्रिया है इसलिए विपक्ष इसमें मीन में कमियां निकलता रहेता है हकीकत यह है कि एक जागरूक और जिम्मेदार विधायक और मंत्री के रूप में ताम्रध्वज साहू ने क्षेत्र के विकास के लिऐ हर संभव काम करवाए हैं। करीब सवा 2 लाख मतदाताओं वाला दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र 2008 में परिशिमन के बाद आस्तित्व में आया था। ओबीसी बाहुल होने के कारण दोनों ही दल यंहा ओबीसी प्रत्याशी उतारते रहे है। 2008 में कांग्रेस ने प्रतिमा चंद्राकर तो भाजपा ने प्रीतपाल बेलचंदन को मैदान में उतारा था जिसमें प्रतिमा चंद्राकर ने जीत हासिल की लेकिन अगली दफा 2013 के चुनाव में भाजपा की रमशीला साहू से पराजित हो गई थीं। इसके बाद 2018 में कांग्रेस ने अंतिम समय में भाजपा के जागेश्वर साहू के सामने ताम्रध्वज साहू कार्ड खेलकर भाजपा को एकतरफा हराकर चारो खाने चित्त कर दिया था ताम्रध्वज साहू इस चुनाव में 27 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी। वर्तमान में भी इस क्षेत्र में साहू व कुर्मी मतदाताओं की बहुलता है। जाहिर है की ताम्रध्वज साहू के सामने भाजपा साहू या कुर्मी प्रत्याशी उतरेगी

हाईकमान ने दिया पूरा सम्मान
2014 में कांग्रेस आलाकमान ने ताम्रध्वज साहू को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया था। यह वह वक्त था, जब साहू 2013 में बेमेतरा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव हार गए थे। ऐसे में उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बनाना पार्टी का बड़ा और साहसिक फैसला था और इससे जाहिर होता है कि आलाकमान को ताम्रध्वज साहू पर पूरा भरोसा था। साहू ने पार्टी को निराश नहीं भी नही किया उन्होंने भाजपा की कद्दावर नेत्री सरोज पाण्डेय को हराकर सनसनी फैला दी थी।बता दें कि साहू ने ऐसे वक्त में जीत हासिल जबकि पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी। आलाकमान ने ताम्रध्वज साहू को ओबीसी विभाग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया । 2018 में आलाकमान को साहू की उपयोगिता राज्य में दिखी तो उन्हें विधानसभा में उतारा गया।पार्टी नेतृत्व के हर भरोसे पर खरा उतरने की ही वजह से उन्हें सीएम पद का प्रमुख दावेदार भी माना गया। बाद में प्रदेश में उन्हें नंबर 2 का मंत्री दर्जा भी मिला।
समाज की बागडोर से कांग्रेस की राजनीति
90 के दशक में साहू समाज के जिलाध्यक्ष के रूप में काम करने वाले ताम्रध्वज साहू को छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद समाज के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए।
। 1998 में कांग्रेस पार्टी की टिकट पर घमघा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए कोयला और इस्पात सबंधी स्थायी समिति में रहे। 2000 में जब पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की थी इसी के बाद पार्टी चना तो उन्हें जोगी मंत्रिमंडल में शिक्षा और जलसंसाधन विभाग का प्रभार मिला।
2003 में इसी क्षेत्र से वे दूसरी बार चुनाव जीते। 2008 में हुए परिसीमन के बाद भी साहू के छेत्र बदलना पड़ा
इस बार बेमेतरा से चुनाव लड़कर उन्होंने जीत की हैट्रिक बनाई। लेकिन 2013 के चुनाव में ये बेमेतरा क्षेत्र से ही भाजपा के अवधेश सिंह चंदल से चुनाव हार गए थे। इसी के बाद 2014 में पार्टी ने उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया ताम्रध्वज साहू को आज भी साहू समाज का अग्रणी और सर्वमान्य नेता माना जाता है साहू वर्तमान में भी एकजुट दिखते हैं और कांग्रेस के पक्ष में खड़े हैं।
प्रादेशिक रणनीति के तहत भाजपा ने पिछले दिनों मंत्री ताम्रध्वज साहू के निवास का भी घेराव किया। इस दौरान भाजपा ने दर्जनों आरोप लगाए, लेकिन यह मात्र आरोप तक ही सीमित है। वास्तविकता तो यह है कि रमन मंत्रिमंडल में जब रमशीला साहू मंत्री थीं तब क्षेत्र को विकास के लिए तरसना पड़ा था। रमशीला साहू पर निष्क्रियता तक के आरोप लगे थे शायद यही वजह थी कि पार्टी ने उन्हें टिकट देना भी मुनासिब नहीं समझा था।

क्षेत्र को मिली विकास की सौगातें

साहू ने क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया , बड़े बडे़ पुल पुलिया निर्माण ,शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े काम करवाए। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का उन्नयन कराया। छेत्र में। नए महाविद्यालय खोले गए , स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की बड़ी उपलब्धि है ताम्रध्वज साहू ने रिसाली क्षेत्र को नया नगर निगम बनाया गया। भाजपा के आरोपों में कितनी सच्चाई है, इसका आकलन क्षेत्र में उतरकर किया जा सकता है। हकीकत यह है कि • ताम्रध्वज साहू के चुनाव जीतने के बाद इस पूरे क्षेत्र का नक्शा बदला है। पूरे कुर्मी मतदाताओं की बाहुल्यता है। जाहिर है विधानसभा क्षेत्र में हजारों करोड़ रूपयों के काम हुए हैं और अब भी चल रहे है।

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