राजिम के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में एडमिशन में गड़बड़ झाला

खबर हेमंत तिवारी

राजिम/ गरियाबंद जिले के स्वामी आत्मानंद स्कूलों में कुछ बच्चो के बोर्ड परीक्षा परिणाम में उत्कृष्ट प्रदर्शन से संस्था और पलको का नाम रोशन हुवे है ।पर राजिम में जालसाजी कर कुछ लोग द्वारा स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम रामबिसाल पाण्डे स्कूल में एडमिशन का फर्जी जाल रचकर स्कूल को बदनाम करने को पूरी कोशिश की गयी है। लेकिन मीडिया के पास आय एक बंद लिफाफा ने इस जालसाज़ी का फर्दाफाश कर दिया है। दरअसल स्कूल में पांच बच्चों का फर्जी अंकसूची और ट्रान्सफर सर्टिफिकेट फर्जी तरीके से बना कर एडमिशन किया गया है। जो पिछले एक साल से पढ़ रहे है । इस मामले में स्कूल में पढ़ रहे बच्चे के एक पालक का नाम सामने आया है। बच्चों का एडमिशन के लिए आरंग के एक निजी स्कूल का नाम उपयोग कर घर में बैठकर फर्जी अंकसूची और टीसी बनाया गया जब कि उस स्कूल से दूर दूर तक इनका कोई वास्ता नही है ।ना ही बच्चे कभी वहां पढ़े है। और न ही वह सर्टिफिकेट उस स्कूल का है। चौकाने वाली बात यह है कि इस मामले में पालकों ने बताया कि इसकी जानकारी अक्टूबर माह में प्राचार्य संजय एक्का को थी पर उन्होंने कोई कार्यवाही नही की, बात मीडिया में आने के बाद आनन फानन में कार्यवाही की बात कह कर जांच समिति गठित किया गया है, वही इस जालसाजी की खबर मिलते ही जिला शिक्षा अधिकारी डी. एस. चौहान से संपर्क करने पर हल्के लब्जो मे कार्यवाही करने की बात कही है। कुछ लोग आत्मानंद स्कूल को बदनाम कर जालसाजी रचे थे ।पर बंद लिफाफा ने जालसाजी का भांडा फोड़ कर रख दिया है। आखिरकार पालकों की गलती का खामियाजा छोटे छोटे बच्चे क्यो भूकते और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले जिम्मेदार कौन है। आखिरकार बच्चों के भविष्य का क्या होगा जो अब पिछली कक्षा उत्तीर्ण कर अगली कक्षा में आ चुके है व स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे है। ऐसे में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल और हिंदी मीडियम।स्कूलों में यही हाल तो नही है जो पूरे जिले में जांच का विषय है। इसी तरह के मामले आते रहे तो मौजूदा सरकार का यह महत्व कांच्छी योजना पर।ग्रहण लग जायेगा ।।बता दे सभी पलको का इच्छा रहता है की उनके बच्चो का चयन स्वामी आत्मानंद स्कूलों में हो जिससे उसके बच्चो बेहतर शिक्षा मिल सके और उसके बच्चो को अच्छी तालीम हासिल कर सके पर उन बच्चो के नटवरलाल पिता खुद अपने बच्चो के भविष्य खराब करने में तुले हैं।तो वही विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से इतनी बड़ी फर्जी तरीके से एडमिशन होना और जानकारी होने के बाद भी प्राचार्य द्वारा कार्यवाही नहीं करना इसमें साठ गांठ की संभावना जताई जा रही है।।

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