70 के दशक में चंबल संभाग के 654 बागियों को आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा में लाने वाले समाज सेवी पी. व्ही.राजगोपाल पहुंचे टोक्यो,11मई को वहां के राष्ट्रपति के हाथों होंगे सम्मानित,

खबर हेमंत तिवारी छुरा।(पाण्डुका)… समाज सेवा के क्षेत्र में राजगोपाल का एक अलग ही किरदार देखने को मिलता है और लोग उसे प्रेम से लोग राजाजी के नाम से संबोधित करते हैं उन्होंने अपना सारा जीवन पिछड़े जनजाति, आदिवासी और पिछड़े समुदाय के लोगों की सेवा उनके अधिकारों के लिए कई आंदोलन भी किये वहीं न्याय और शांति के लिए भय और भुखमुक्त समाज की रचना के लिए प्रयासरत रहे और इसी क्रम में सत्तर के दशक में मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के 654 बागियों को गांधी जी के प्रतिमा के सामने समर्पण कराकर मुख्यधारा पर लाया गया।एवं सभी आदिवासी व परंपरागत वननिवासियों के वनाधिकार पट्टे के लिए भी आंदोलनरत रहे। और उनके इन सब कार्यों के लिए उन्हें नोविनो पुरुस्कार से 11 मई को जापान में पुरुस्कार प्रदान किया जायेगा। जिसे लेने जिल बहन और राजगोपाल जापान की राजधानी टोक्यो पहुंच गए हैं।कल वे वहां के स्थानीय कार्यक्रम उत्तरी जापान के ऐनू आदिवासी समुदाय में शामिल होकर मुलाकात किये। जहां उनको पुरुस्कार 11 मई को जापान के महामहिम राष्ट्रपति के हाथों प्रदान किया जाएगा। जिसके लिए गरियाबंद जिले के समाजसेवी सीताराम सोनवानी एवं जिले के सभी राष्ट्रीय एकता परिषद के सदस्यों ने शुभकामनाएं दी हैं।

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