**छुरा @@@@@छत्तीसगढ़ी के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी इस सरकार का आखिरी बजट पेश किया। निश्चित रूप से बजट लोकलुभावन के साथ साथ चुनावी भी है। पंद्रह साल बाद कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की है, आगे सत्ता में बने रहने के लिए जरूरी है कि मतदाता को खुश रखा जाए। भूपेश बघेल के लिए 2023 का चुनाव 2018 से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। इन पांच वर्षों में भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग पहचान स्थापित करने में सफल रहे हैं। इसलिए वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में 2023 का चुनाव काफी महत्वपूर्ण हों जाता है।आम बजट, आम आदमी को प्रभावित करता है, इसलिए मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार किया गया है। निराश्रित पेंशन को बढ़ाकर पांच सौ रुपए किया गया है, लगातार संघर्ष कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय साढ़े छः हजार से बढ़ाकर दस हजार तथा सहायिकाओं का साढ़े तीन हजार से बढ़ाकर पांच हजार किया गया है। सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि आवाज योजना के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा, इसलिए आवास योजना के लिए लगभग तीन सौ करोड़ से अधिक की राशि दी गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए, राजधानी स्थित मेकाहारा को अत्याधुनिक बनाना तथा मोबाइल मेडिकल यूनिट की स्थापना करना महत्वपूर्ण है। खस्ताहाल सड़कों तथा ओवरब्रिज निर्माण के लिए लगभग आठ सौ करोड़ की राशि रखी गई है। आम आदमी तक स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए दो हजार करोड़ बजट में रखा गया है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह सहायता राशि को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है, आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों की सफलता और मांग को ध्यान में रखते हुए एक सौ एक नये स्कूल खोलने की घोषणा किया गया है। लगभग सौ नवीन न्यायालय, तीन मेडिकल कॉलेज,सात नवीन तहसील तथा तीन अपर कलेक्टर कार्यालय खोले जाएंगे। निश्चित रूप से बजट लोककल्याण को केंद्र में रखकर लाया गया है, परंतु देखना होगा कि अगले छः से सात महीने में कितनी घोषणाएं पूरी होती है। क्योंकि सरकार के पास काम करने के लिए सिर्फ सितंबर तक समय है। 2023 में जनता कांग्रेस को दोबारा मौका देती हैं तो भूपेश बघेल कांग्रेस की राजनीति के सिरमौर बन जाएंगे।