सोसायटी में खाद आने के बाद भी किसान, एक सप्ताह से सोसायटी के चक्कर लगा रहे हैं

-छुरा सूत्रों के हवाले से खबर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गरियाबंद जिला के खड़मा सोसायटी के किसान खरीफ फसल लिए इन दिनों खाद के लिए भटक रहे हैं। हालत यह है कि समिति में न तो यूरिया ,ना ही सिंगल सुपर फास्फेट(राखड़) और ना ही डीएपी प्रर्याप्त मात्रा नहीं है, किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा है। किसानों की माने तो खरीफ का सीजन जब से चालू हुआ है तब से यहां कि स्थिति ऐसी ही बनी हुई है। धान की फसल को खाद की अत्यंत आवश्यकता महसूस की जा रही है, खड़मा सोसायटी में खाद तो है लेकिन किसान खाद के लिए एक सप्ताह से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सोसायटियों में खाद नहीं मिलने से ऊंचे दाम पर व्यापारियों से खाद खरीदने किसान मजबूर हैं। मानसून आने के पहले ग्रमीण किसानों ने सौ फीसदी बोवनी कर दी है।अब बारिश होने के बाद किसान खाद के लिए सोसायटी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के किसान खेती-किसानी छोड़कर सोसायटी में खाद के लिए भटक रहे हैं।
खड़मा सोसायटी में क्षेत्र के लगभग 12 गांव- खड़मा, कुरेकेरा, मड़ेली, करकरा, कोरासी, पीपरछेड़ी, गायडबरी, तालेसर,कुसुम पानी,बिहावझोला पंचायतों के 800 किसान जुड़े हैं।जो मुखत: खरीफ फसलों का उत्पादन लेते हैं।खरीफ सीजन में जीतनी आवश्यकता होती हैं, उतना खाद उपलब्ध नहीं हो रहा है।फसल बोने के बाद अब किसान पोटाॖॅश, यूरिया,सुपरफास्पेट, और डी ए पी खाद के लिए भटक रहे हैं।
‌आदिम-जाति सेवा सहकारी समिति के कर्मचारियों का कहना है कि शाखा प्रबंधक गरियाबंद गया है उसके आने के बाद खाद भण्डारण किया जा सकता है, और यह सिलसिला एक सप्ताह से जारी है।
सोसायटी के कर्माचारियों ने कहा कि कोई भी किसान वंचित नहीं रहेगा।
बरसात में धान की फसल ले रहे किसानों के समक्ष खाद को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। इन दिनों यूरिया, सुपरफास्पेट, डीएपी खाद की सख्त जरूरत है वहीं किसान जो अभी अभी धान रोपाई का काम किया है वे खाद के लिए भटक रहे हैं। आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों
में खाद नहीं मिलने से किसान मजबूरी में ऊंची दाम पर खाद खरीद रहे हैं। बाजार में डेढ़-दो सौ रुपए अधिक दाम पर किसान खाद खरीदने मजबूर हैं।
ग्राम मड़ेली के किसान अमृत ठाकुर,भोला ठाकुर, गणेशी बाई सतनामी, कार्तिक पटेल, भागीरथी निर्मलकर,फगनी बाई, तेजराम निर्मलकर,राजू,गेवर, पीला बाई साहू बारह गांव के किसान अधिक संख्या में उपस्थित थे।
लेकिन रोज खाद के लिए सोसायटी का चक्कर लगा-लगा कर थक गए हैं। सोसायटी में जाने पर खाद नहीं होने व आज- कल में आने की बात कही जाती है। लेकिन लगातार खाद की कमी बनी हुई है। इस समिति का हाल बेहाल है। समिति भवन के सामने उगी पेड़ पौधे इस बात की गवाह है कि यहां का प्रबंधन घटिया किस्म का है। यहां मतदान करा कर नया समिति गठित किया जाए, और वहां कार्य में लगे सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर नया नियुक्ति किया जाए।
किसानों को न तो यहां यूरिया, डीएपी मिली न ही सुपरफास्पेट मिल पा रही है। कुप्रबंधन के चलते कृषक प्राइवेट खाद विक्रेताओं की मनमानी का शिकार हो रहे हैं। किसान खाद के लिए सोसायटी के चक्कर लगा कर थक हार कर गए हैं, अब किसान उग्र होकर गरियाबंद कलेक्टर से शिकायत के लिए मजबूर हो गए हैं।

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