रोशन अवस्थी@देवभोग। इन दिनों जनपद पंचायत के अधिकारियों द्वारा रोजगार सहायक के भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए रोजगार सहायक को एक पंचायत से दूसरे पंचायत में स्थानांतरित करने का खेल चल रहा हैं। मनरेगा अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर नियुक्त रोजगार सहायक की नियुक्ति उसी ग्राम पंचायत में होती है। मनरेगा अधिनियम के अंतर्गत जितने भी स्वीकृत संचालित कार्य रोजगार सहायक के द्वारा संपादित की जाती है। मनरेगा के अंतर्गत जितने भी कार्य के प्रति रोजगार सहायक ही निर्वहन करता है।
मनरेगा अधिनियम के तहत कोई रोजगार सहायक मनरेगा अधिनियम के विरुद्ध अगर कोई कार्य करता है। जिसमें रोजगार सहायक यदि दोष सिद्ध पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में उस रोजगार सहायक की सेवा स्वतः समाप्त करने की कार्यवाही की जाती है न कि उस रोजगार सहायक का स्थानांतरण किया जाता हैं। रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत रोजगार सहायक कि न्युक्ति उस पंचायत में संविदा के तौर पर नियुक्ति होती हैं। और वो उस पंचायत में ही कार्य कर सकता है। ऐसा मामला जनपद पंचायत स्तर के सक्षम अधिकारियों के द्वारा अवहेलना कर दोषी रोजगार सहायक को बचाया जा रहा है और दोष सिद्ध होने पर मनरेगा अधिनियम के विरुद्ध कार्यवाही न कर उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है। संबंधित अधिकारियों के द्वारा घोर लापरवाही कर व्यक्ति विशेष को बचाने का प्रयास भी किया जा रहा है। जो कि तत्कालीन अधिकारियों के द्वारा रोजगार सहायक को बचाने के चक्कर में एक पंचायत से दूसरे पंचायत में अटैच का खेल जोरो सोरो से चल रहा है जो कि यह मनरेगा अधिनियम के विरुद्ध हैं। क्यों कि यदि कोई रोज़गार सहायक मनरेगा नियम के विरुद्ध कोई कार्य करता है। और वह दोषी सिद्ध पाया जाता हैं तो उस स्थिति में उसका सेवा को स्वत ही समाप्त कर दी जाती हैं न कि उसका स्थान्तरण किया जाता हैं। क्योंकि रोजगार सहायक एक संविदा कर्मचारिय के पद पर उस पंचायत में कार्य करता है।
मनरेगा अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर रोजगार सहायक की नियुक्ति होती है। और रोजगार गारंटी योजना के नियुक्ति प्रक्रिया में उस पंचायत के लिए वह उत्तरदायित्व होता है। रोजगार सहायक की नियुक्ति एक एक वर्ष के लिए संविदा के तौर पर होती है। और उसे अपने कार्य कलापो के अनुसार यथावत आगे उस पंचायत मैं रखा जाता है। मनरेगा अधिनियम के तहत यदि कोई रोजगार सहायक मनरेगा अधिनियम के विरुद्ध कार्य करता है तथा दोषी सिद्ध पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में रोजगार सहायक की सेवा स्वता ही समाप्त करने की कार्यवाही की जाती है ना कि उसका स्थानांतरण किया जाता है।
यही खेल जनपद पंचायत स्तर पर तात्कालिक कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। रोजगार सहायक के भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए एक जगह से दूसरे जगह में रोजगार सहायक को स्थानांतरित कर भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास तत्कालीन अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है और इसकी भनक जिले के उच्च अधिकारियों को भी पढ़ने नहीं दे रहे हैं।