पाटन के ग्राम बेलौदी में विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया

पाटन।पूरी दुनिया में 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetland Day) के रूप में मनाया गया। गौरतलब है कि आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन लोगों और हमारे ग्रह के लिये आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है।वन मंडल दुर्ग के द्वारा ग्राम बेलौदी के वेटलैंड(बांध) में विश्व अद्रभूमि दिवस मनाया गया।कार्यक्रम में सांतरा बेलौदी चीचा अचानकपुर के बीएमसी मेंबर तथा स्कूली बच्चे सहित वानिकी के छात्र शामिल हुए।इस अवसर पर स्कूली बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।कार्यक्रम के अतिथि शंकर बघेल(सदस्य बीज निगम), देवकुमार निषाद(सदस्य मछुआ कल्याण बोर्ड), हेमंत कश्यप, राजू वर्मा(वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर) रहे।

कार्यक्रम के पहले सत्र में सांतरा बांध में बर्ड वाचिंग का प्रोग्राम रखा गया था जहां पर भारी संख्या में आये प्रवासी पक्षियों के बारे में स्थानीय पक्षी विशेषज्ञ और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर राजू वर्मा ने विस्तार से बताया एवम पक्षियों के प्रवास के विषय मे जानकारी दी।

दूसरे सत्र आद्रभूमि और स्थानीय जन जीवन मे उसके प्रभाव पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी की शुरूआत में राजू वर्मा ने वेटलैण्ड के महत्व और उसके संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि
नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड (Wetland) कहते है। दरअसल, आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है।दरअसल वेटलैंड (आर्द्रभूमि) एक विशिष्ट प्रकार का पारिस्थितिकीय तंत्र है तथा जैव-विविधता का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। जलीय एवं स्थलीय जैव-विविधताओं का मिलन स्थल होने के कारण यहाँ वन्य प्राणी प्रजातियों व वनस्पतियों की प्रचुरता पाए जाने की वज़ह से वेटलैंड समृ़द्ध पारिस्थतिकीय तंत्र है।
उन्होंने कहा किआज के आधुनिक जीवन में मानव को सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन से है और ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि हम अपनी जैव-विविधता का सरंक्षण करें।


गौरव निहलानी ने अपने विचार रखते हुए कहा
 वेटलैंड्स को ‘किडनीज़ ऑफ द लैंडस्केप’ (Kidneys of the Landscape) यानी ‘भू-दृश्य के गुर्दे’ भी कहा जाता है। जिस प्रकार से हमारे शरीर में जल को शुद्ध करने का कार्य किडनी द्वारा किया जाता है, ठीक उसी प्रकार वेटलैंड तंत्र जल-चक्र द्वारा जल को शुद्ध करता है और प्रदूषणकारी अवयवों को निकाल देता है।
मुख्य अतिथि शंकर बघेल ने कहा की हमारे पाटन क्षेत्र में तालाबो और जलाशयों की अधिकता है पानी के संरक्षण की दिशा में हमारे पूर्वजों ने भी खूब प्रयास किया है और अब राज्य सरकार भी नरवा योजना के तहत लगतार जल संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही है।वाइल्ड लाइफ बोर्ड के मेंबर हेमन्त कश्यप ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हम रासायनिक खाद का कम इस्तेमाल कर के भी अपनी जमीन सहित वेटलैण्ड को बचा सकते हैं उन्होंने लगातार हों रही पेड़ो की कटाई के नुकसान भी बताए साथ ही पेड़ लगाने पर जोर दिया। नोवा नेचर के अजय ने आद्रभूमि दिवस के इतिहास और उसके प्रकार की जानकारी दी।संगोष्ठी में वानिकी के छात्रों ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के समापन में पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को अतिथियों द्वारा पुरुस्कृत किया गया।कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन सुश्री मोना महेश्वरी(एसडीओ वन मंडल दुर्ग )ने किया।

मौके पर प्रमुख रूप से वन परिक्षेत्र अधिकारी दुर्ग हाफिज खान,डिप्टी रेंजर पाटन डीपी वर्मा,किशन हिरवानी, वनरक्षक गोवर्धन नेताम,वेदप्रकाश यादव,गोविंद देखमुख,शिरीष भट्ट,उमेश्वरी साहू,अनिता रजक,कमल साहू,पोषण ठाकुर,हेमंत ठाकुर,देवा मानिकपुरी, श्यामलाल साहूकविता वर्मा,उत्तम वर्मा,रमेश वर्मा,टूम्मन साहू, पंकज साहू,राजू यादव सहित पर्यावरण प्रेमी, क्रो फाउंडेशन के सॉफ्टी स्मिथ सहित वन विभाग के कर्मचारी उपस्थित रहे।

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