✍🏻 रिपोर्टर विक्रम कुमार नागेश गरियाबंद
गरियाबंद जिला मैनपुर ब्लॉक
अब दूसरे के घर में रहने को मजबूर जहां एक और बारिश ने एक भूमिहीन मजदूर के सर से छत छीन लिया वहीं दूसरी और सरकारी सिस्टम की सुस्त प्रक्रिया ने उसे दूसरे के घर शरण लेने को मजबूर कर दिया। सरकार द्वारा दिए जाने वाले क्षतिग्रस्त मुआवजा भूमिहीन मजदूर ने 6-4 के तहत मांगा था, पटवारी ने प्रकरण भी बना कर अपने उच्चाधिकारियों को भेजा पर साल भर बाद भी मुआवजा नहीं मिल सका है इस बात को आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि वातानुकूलित कमरों में बैठने वाले अफसरों को भूमिहीन मजदूर की पीड़ा से कितना सरोकार हैं। छत्तीसगढ के छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री किसानों और मजदूरों के दुखो पर मरहम लगाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं पर उनके कोशिशों पर सरकारी नौकरशाह किस तरह से पानी फेरने का काम कर रहे हैं, यह आप अडगड़ी के भूमिहीन मजदूर जीवन लाल पटेल के प्रकरण से अच्छी तरह से समझ सकते हैं। पेेश हैं भूमिहीन मजदूर की समस्या का हकीकत बयां करती यह
शासन प्रशासन के द्वारा गरीब मजदूर बेसहारों के लिए बहुत सारे योजनाएं संचालित कर रही है। उसी योजनाओं में से एक अगर किसी गरीब मजदूर बेसहारा के मकान बारिश से क्षतिग्रस्त हो जाने पर उसे मरम्मत के लिए 6-4 के तहत आर्थिक सहयोग दिया जाता है। जिससे वह अपने क्षतिग्रस्त मकानों का मरम्मत फिर से कराते हुए उस मकान में सुखचैन से रह सके।
इस योजनाओं का लाभ एक भूमिहीन मजदूर गरीब को नहीं मिल रहा है। विकासखंड मुख्यालय मैनपुर से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत अड़गडी़ के आश्रित ग्राम पेंड्रा में भूमिहीन गरीब मजदूर जीवन लाल पटेल पिता जोहन लाल पटेल जाति मरार पिछडा़ वर्ग अपने बेटे के साथ खुद के बनाया हुआ मकान मे रहते हुए अपना जीवन यापन कर रहा था। कुदरत के खेल के आगे सभी नतमस्तक हैं। पिछले बारिश से उसका मकान क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण वह बेहद परेशान हो गया उस मकान को बनाने व मरम्मत के लिए आर्थिक तंगी होने लगी जिसके कारण दूसरों के मकान में सहारा लेकर जीवन यापन करते हुए 6-4 के तहत आर्थिक सहयोग के लिए पूरा दस्तावेज तैयार कर हल्का पटवारी के माध्यम से तहसील कार्यालय मैनपुर में आवेदन फॉर्म जमा किया, लेकिन साल भर बीतने के बाद भी गरीब बेसहारा मजदूर को 6-4 के तहत क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिल पाया ।
बेमौसम बारिश से फिर हुआ मकान क्षतिग्रस्त
पिछले साल मकान क्षतिग्रस्त हो जाने का क्षतिपूर्ति राशि अभी मिल भी नहीं पाया था और हाल ही में हुए बेमौसम बारिश से सप्ताह भर पूर्व फिर से मकान क्षतिग्रस्त हो गया। मकान को मरम्मत कराने की चिंता गरीब मजदूर जीवन लाल पटेल को खाई जा रही है। सरकारी योजना के लाभ से अब तक वंचित जीवनलाल पटेल का सब्र भी अब जवाब दे रहा है शासन-प्रशासन से उसका भरोसा उठता जा रहा है, क्योंकि उसने सरकार पर उम्मीद और विश्वास करते हुए साल भर पहले मकान क्षतिग्रस्त के मरम्मत कराने 6-4 के तहत आर्थिक सहयोग का मांग किया गया था जो आज तक उसे सरकार पूरा नहीं कर पाई। अब भूमिहीन मजदूर को यह चिंता सताने लगा है कि सरकारी क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिला तो जीवन भर दूसरे के घरों में रहने के लिए मजबूर हो जाऊंगा क्या ? ऐसा सवाल बार-बार जीवन लाल पटेल कर रहा है। इस बार फिर से जिला कलेक्टर को क्षतिग्रस्त मकान के मरम्मत के लिए आर्थिक सहयोग दिलाने की गुहार लगाई है।
इस संबंध में क्या कहते हैं कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि
हल्का पटवारी वासुदेव करण मौर्य का कहना है कि उसने जीवन लाल पटेल के मकान क्षतिग्रस्त होने का स्थल सत्यापन करते हुए प्रकरण बनाकर तहसील कार्यालय मैनपुर में प्रकरण जमा किया गया है। अभी तक क्षतिग्रस्त राशि मिल जाना चाहिए क्यों नहीं मिल पाया है इसकी जानकारी के साथ ही इस समय के बेमौसम बारिश में फिर क्षतिग्रस्त हुआ है। जिसको तत्कालिक संज्ञान में लेते हुए पुनःस्थल सत्यापन के लिए मैं स्वयं ग्राम पेंड्रा पहुंचकर जीवन लाल पटेल के मकान का वास्तविक स्थिति का पता लगाते हुए उचित आर्थिक सहायता मिले ऐसा मेरा प्रयास सौ प्रतिशत रहेगा वहीं सरपंच ग्राम पंचायत अड़गडी कृष्ण कुमार नेताम कहते है कि पिछले समय जीवन लाल पटेल के मकान बारिश से क्षतिग्रस्त होने पर उसका पूरा प्रकरण तैयार करते हुए हल्का पटवारी के माध्यम से तहसील कार्यालय मैनपुर में प्रकरण जमा किया गया था। आर्थिक सहायता राशि क्यों नहीं मिल पाई मुझे भी संबंधित विभाग के मैदानी कर्मचारी जानकारी नहीं बताया गया दूसरे के घर में रहने के लिए मजबूर जीवन लाल पटेल का पुनः वही मकान बेमौसम बारिश से क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण वह बेहद परेशान और लाचार है। कोई भी हालत में हो ऐसे गरीब मजदूरों को आर्थिक सहायता राशि मिलनी ही चाहिए।