छत्तीसगढ़ के विलुप्तप्राय “मटपरई” चित्रकला के एकमात्र चित्रकार-अभिषेक सपन

रोशन सिंह@उतई। ग्राम पंचायत डुमरडीह,उतई जिला (दुर्ग )के युवा चित्रकार अभिषेक सपन 27 वर्षीय जिन्होंने छत्तीसगढ़ की विलुप्तप्राय मटपरई चित्रकला को निरंतर 11 वर्षो से बना रहे है। इस कला के माध्यम से कई ईनाम जीते है ,उन्होंने छत्रपति शिवाजी कॉलेज दुर्ग से,इंजीनियर की पढ़ाई ,इलेक्ट्रॉनिक टेलीकम्यूनिकेशन ब्रांच से 75%ले कर उत्तीर्ण हुए है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ साथ मटपरई कला को भी भारी जूनून के साथ बनाते है।

मटपरई चित्रकला क्या है?
मट-मिट्टी परई-कागज व खल्ली की लुगदी सभी को वस्तुओं सड़ा कर बनाई गई कला मटपरई चित्रकला कहलाती है।
छत्तीसगढ़ की प्राचीन कला है जिसे हमारे बड़े बुजुर्गों द्वारा बनाया जाता था। परंतु वर्तमान में ये कला विलुप्त हो गई है। विलुप्त हो चुकी मटपरई कला को अपने बड़े बुजुर्गों से सीख कर, बना रहे है, तथा जनमानस तक पहुँचने की कोशिश कर रहा है। मटपरई चित्रकला के माध्यम से छत्तीसगढ़ की संस्कृति लोकनृत्य,लोककथा,लोककहानी, लोक परंपरा, तीज,त्यौहारो,पशु पक्षी,देवी देवताओं की कृति अपनी कल्पनाशीलता से बना रहा है । ऐसे चित्रकला व चित्रकार पर, राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित हो,ताकि हमारी युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को जाने। ऐसे युवा वर्ग ही छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर में पहुँचा सके और छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ा सकें।

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