संगठन ही सफलता का मूल मंत्र, इसे चरितार्थ किया ग्राम केसरा की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने मुर्गी पालन कर आमदनी अर्जित करने का बनाया जरिया

पाटन। संगठन ही किसी मंजिल को छू लेने और अपने अरमानों को साकार करने का सशक्त माध्यम होता हैं। अगर मन में विश्वास, दृढ़ संकल्प और कुछ कर लेने का निश्चय हो तो सफलता पानेे में देर नहीं लगती। अगर कोई काम संगठित होकर किया जाए तो सफलता मिलनी तय है, इस बात को ग्रामीण महिलाएं बखूबी समझती हैं । पाटन ब्लाक के ग्राम केसरा की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने इसे असल जीवन में चरितार्थ भी कर दिखाया है। यहां की महिलाएं आम ग्रामीण महिलाओं की तरह अपने परम्परागत और घर गृहस्थी के काम को ही असल जीवन का काम और विधान समझती है। अब कुछ अलग सा करने की सोच ने महिला समूह के जीवन की तस्वीर और तकदीर दोनों को बदल कर रख दिया है।
ग्राम केसरा की 10 महिलाओं ने समूह बनाकर मुर्गी पालन कर आमदनी अर्जित करने का बढ़िया जरिया बनाया है। शुरूआत में इस काम का चयन करने पर उन्हें कुछ दुविधा थी। समय के साथ महिलाओं को इस व्यवसाय में दूरगामी परिणाम नजर आने लगे। महिलाओं ने समूह बनाकर अपने मुराद को पूरा करने के लिए ग्राम पंचायत से संपर्क किया। जहां उन्हे शासन से मिलने वाली सब्सिडी और योजनाओं की जानकारी दी गई। समूह की महिलाओं ने पशुपालन विभाग से संपर्क किया और मुर्गी पालन करने की बात रखी। महिलाओं को केसरा के पशु औषधालय द्वारा मुर्गी के चूजे उपलब्ध कराया गया। समूह को एनआरएलएम योजना के तहत 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता व चूजे दिए गए हैं । महिलाएं अपनी देखरेख में चूजों का पालन कर इसे बड़ा कर बेच रहीे हैं । इससे उन्हें अच्छी आय मिल रही है।

समूह की अध्यक्ष श्रीमती हेमलता ठाकुर ने बताया कि इस काम के उन्हें लिए घर वालों का भी पूरा साथ भी मिल रहा है। समूह की बहनें अपने घर के काम से मुक्त हो जाने पर पूरा समय मुर्गियों की देखरेख में बिताती है। पिछली बार मुर्गी बेचने से हुई 20 हजार रूपए के मुनाफे को महिलाओं ने आपस में बांटा है। शुरूआत में ही हुई मुनाफे से महिलाएं काफी खुश हैं ।
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