पतोरा गौठान में इस साल तैयार किया गया 268 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट…गोधन न्याय योजना से मिल रहा राज लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को संबल



पाटन। परंपरागत रूप से छत्तीसगढ़ में गोबर के कई प्रकार के इस्तेमाल होते थे। धीरे-धीरे यह परंपरा कमजोर हो गई और जैविक खाद के रूप में गोबर के इस्तेमाल करने की परंपरा लुप्तप्राय हो गई। लेकिन प्रकृति के साथ संसाधनों को बचाने की राज्य शासन की अनुपम पहल से अब समय के साथ गोबर से भी अनेकों आयाम निकलकर सामने आ रहे हैं। जिससे लोगों की जिदंगी भी संवर रही है।  शासन की अतिमहत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी से राज्य की सांस्कृतिक विरासत को सहजने के साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए-नए अवसर का भी सृजन हो रहा है। गौठान से जुड़ी महिला समूह गौठान से निकली गोबर से कम्पोस्ट खाद, कंडे, दिया जैसे अन्य सामग्री का निर्माण कर आय अर्जित कर रही है। पाटन विकास खंड के ग्राम पतोरा में राजलक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने इसे बखूबी से समझा है। समूह की महिलाओं द्वारा वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है। समूह की महिलाओं ने बताया कि एक वर्ष से कम समय में उनके द्वारा अब तक कुल 268 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन व बिक्री किया जा चुका है। समूह की महिलाओं ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री से 87 हजार रुपये का फायदा हुआ है। समूह की महिलाओं ने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से उन्हें एक बार पुनः गोधन का बेहतर तरीके से उपयोग कर रहे हैं। कंपोस्ट खाद से मिली आमदनी से हुए अपने जरूरत की चीजों की पूर्ति कर पा रही है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *