तकनीकी संस्थाओं के छात्रों के माध्यम से, कोरोना मुक्त गांव, कोरोना मुक्त भारत अभियान


दुर्ग। कोरोनावायरस एवं टीकाकरण अभियान के बारे में ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रांतियां हैं। इन भ्रांतियों को तकनीकी संस्थाओं के छात्रों के माध्यम से दूर करने, छत्तीसगढ़ इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेज राजपत्रित संघ एवं कल्याणी नशामुक्ति केंद्र भिलाई के संयुक्त तत्वावधान में, प्रदेश के पांचों संभाग में, कोरोना मुक्त गांव, कोरोना मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया।
वर्चुअल शुभारंभ में सेवानिवृत्त डॉ आर के पालीवाल (IRS), पद्म श्री धर्मपाल सैनी, डॉ सुरेश गर्ग, एडिशनल कलेक्टर बीरेंद्र बहादुर पंचभाई, कल्याणी संस्था के अजय कल्याणी, एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष शंकर वराठे, संरक्षक सदस्य पी के पांडे, डॉ साजी चाको एवं कुंदन साहू ने विचार रखे। एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष शंकर वराठे ने बताया कि, कोरोना महामारी से बचाव हेतु सरकार द्वारा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में, जागरूकता नहीं होने के लोगों में भ्रांतियां है। देश के सात राज्यों में कोरोना मुक्त गांव कोरोना मुक्त भारत अभियान सेवा निवृत्त डॉ आर के पालीवाल (IRS) एवं टीम के नेतृत्व तथा मार्गदर्शन में चलाया जा रहा है। इस अभियान को छत्तीसगढ़ में कल्याणी नशामुक्ति केंद्र भिलाई आगे बढ़ा रही है। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों के माध्यम से छत्तीसगढ़ इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेज राजपत्रित अधिकारी संघ ने, दिनांक 4-5-2021, से पांच संभाग में, कोरोना संक्रमण एवं टीकाकरण जागरूकता अभियान चला रखा है। कोरोना मुक्त गांव एवं कोरोना मुक्त भारत अभियान वेबिनार के माध्यम से कल्याणी नशामुक्ति केंद्र भिलाई एवं छत्तीसगढ़ इंजीनियरिंग व पोलीटेक्निक कालेज राजपत्रित अधिकारी संघ संयुक्त रुप से चलाएंगे। वर्चुअल कार्यक्रम की शुरुआत अजय कल्याणी एवं शंकर वराठे ने कि फिर वक्ताओं को आमंत्रित किया, मुख्य वक्ता डॉ आर के पालीवाल ने अभियान को सफल बनाने निम्न सुझाव दिये।

  1. गांव के सरपंच, पंचायत सचिव और पंचायत सदस्यों को कोरोना से बचाव (preventive measures) , बीमार लोगों के आर टी पी सी आर टेस्ट (korona test) कराने और गंभीर मरीज को नजदीकी कोविड केन्द्र(Designated Covid hospital) पहुंचाने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
  2. सभी ग्राम वासियों को मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और कई बार साबुन से हाथ धोने और खांसी बुखार की शुरुआत में ही भाप लेना, गरम पानी के गरारे करने और मरीज को घर के बाकी सदस्यों से अलग करने आदि की सामान्य जागरूकता की जानकारी देनी होगी। यह काम आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, प्राइमरी स्कूल के शिक्षक और धार्मिक गुरु, मसलन मंदिर के पुजारी और मस्जिद के मौलवी आदि बच्चों और महिलाओं के माध्यम से आसानी से कर सकते हैं।
  3. धूम्रपान के नुकसान की जानकारी देना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि कमजोर फेफड़े वालों को यह बीमारी जल्दी पकड़ती है। लोगों को खुले में (पेड़ों के पास और छत पर) ज्यादा समय बिताना चाहिए ताकि खूब साफ हवा से फेफड़े स्वस्थ रहें।
  4. खानपान में सादा पौष्टिक आहार और अधिक pH के फल नींबू, आम और अनानास आदि खाने चाहिएं।
  5. गांव के बाहर कम से कम निकलें और साप्ताहिक हाट बाजार की भीड और वहां के भोजन आदि से बचें।
  6. शहर से लौटे मजदूरों या पढ़ाई करने वाले बच्चों को कुछ दिन के लिए घर के बाहर खाली पड़ी जगह, मसलन, पंचायत भवन, स्कूल या खेत आदि पर रुकने की व्यवस्था होनी चाहिए।
  7. बुजुर्गों को बीमारी से बचाने के लिए उनसे दो गज दूर रहें।
  8. शादी, भजन कीर्तन और मृत्यु भोज आदि में कम से कम लोग शामिल हों।
  9. शाम के नृत्य गायन कार्यक्रमों (आदिवासी समूह नृत्य और घोटुल के रात्रि आयोजन) को बंद रखें क्योंकि उसमें अधिकांश लोग शराब पीकर तेज आवाज में नाचते गाते हैं।
  10. कोरोना के बारे में ओझाओं और नीम हकीमों के अंध विश्वास और उलजुलुल दवा आदि से दूर रहें और प्राधिकृत डॉक्टर्स के द्वारा बताई गई दवाई का इस्तेमाल करें।
  11. अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार करना चाहिए।
    कार्यक्रम में शंकर वराठे, डॉ शैलेन्द्र सिंह, संरक्षक डॉ एम एफ कुरैशी,पी के पांडे, डॉ अजय गर्ग, उषा जैन, ममता अग्रवाल, एन के बुआडे, राजेश श्रीवास्तव, डॉ साजी चाको, डॉ हिमानी अग्रवाल, डॉ आर के अग्रवाल, हर्षल मोहिते, सतीश कुमार ठाकुर, पुष्पेन्द्र वर्मा, कुंदन साहू, मोनिका दास, देवसिंह साहू, दीपक पटेल, डॉ मृदुल चौरसिया, मुरारी महतो, ईश्वर सिंह, विनय मिश्रा, अजय रात्रे, हितेश कुमार, माधुरी टीगगा, चिरंजीव राव, राकेश कुमार, मनीष साहू, रिचा श्रीवास्तव, रुपेश पटेल एवं 250 से अधिक संख्या में सदस्य एवं छात्र उपस्थित हुए।

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