? गरियाबंद से ब्यूरो रिपोर्ट विक्रम कुमार नागेश
राजिम/गरियाबंद
कोरोनाकाल के विषम परिस्थितियों में भी अंचल के सबसे सक्रिय साहित्यिक संस्था त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम नवापारा अपने नैतिक जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर रहे है।उक्त संस्था द्वारा अंचल में न केवल साहित्यिक क्रियाकलापों के लिए जानी जाती है,बल्कि अनेक रचनात्मक कार्यों के लिए भी अंचल में पहचान बनाए हुए हैं,उक्त बातें समिति के अध्यक्ष मकसूदन साहू”बरीवाला”एवं उपाध्यक्ष किशोर निर्मलकर जी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए उन्होंने कहा कि जबकि कोरोनाकाल में सेना के जवान, डॉक्टर,नर्स,पुलिस,शिक्षक पटवारी जैसे न जाने कितने ही लोग प्रत्यक्ष रूप से कोरोना वारियर्स के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं तो,इस परिस्थिति में जब समाज के लोग कोरोना वैक्सीनेसन को लेकर अनेक प्रकार की अफवाहों एवं भ्रामक जानकारियों से घिरे हुए हैं,तब समाज के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में साहित्यकार,कवि, लेखक अपनी-अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगो को टीकाकरण हेतु किस प्रकार प्रेरित कर सकते हैं,इसी उद्देश्य को लेकर गत दिनों त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम नवापारा के बैनर तले ऑनलाइन विशेष काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया था।जिसमें स्थानीय साहित्यकारों के अलावा लगभग 90 लोग इस मंच से जुड़े रहे।कार्यक्रम का शुभारंभ माँ शारदे की वन्दना भारत प्रभु के द्वारा किया गया इसके पश्चात युवा कवयित्री प्रिया देवांगन”प्रियु”ने आगे अब वैक्सीन करो झन रोना धोना”की छंदमय प्रस्तुति दी। तत्पश्चात कवि मकसूदन साहू “बरीवाला”ने अपने विशेष अंदाज में”कोरोना के टांग ल खींच देबोन हम”की साहसिक प्रस्तुति दी,कवि भारत लाल साहू ने छुआछूत की बीमारी से,मेला ठेला की भागीदारी से पढ़कर कोरोनाकाल में अंधविश्वास से दूर रहने की अपील की।इसके बाद कवियत्री केंवरा यदु”मीरा”ने मितानिनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि, काबर हमर कोती आय कोरोना दाई”पढ़कर खूब वाहवाही बटोरी।युवा कवि नरेंद्र पार्थ ने”चलो दीदी टीका लगाबो,प्रेरणा गीत प्रस्तुत किया।इसके बाद माधुर्य कवि रोहित साहू ने दिनोंदिन बढ़त हे बीमारी येकर ले मुक्ति पाबोन” पढ़ा।वरिष्ठ कवि मोहनलाल मणिकपन”भावुक”ने मांसाहारी छोड़कर शाकाहारी भोजन पर संदेश देते हुए कहा कि शाकाहारी बनके भैय्या,काया निरोगी बनाबो।तत्पश्चात तेज तर्रार युवा कवि किशोर कुमार निर्मलकर ने ये दे जिंनगी के नई हे ठिकाना टीका ल लगा लेबोन,पढ़कर खूब ताली बटोरी।कार्यक्रम के अंत मे संचालन कर रहे कवि श्रवण कुमार साहू”प्रखर”ने जय जंगान के तर्ज पर लाजवाब कविता पढ़ते हुए लोगो को प्रेरित किया कि”बुध म काकरो आहू झन भडकौनी ल पतियाहू झन पढ़कर माहौल को ऊँचाई प्रदान किया।आभार प्रकट रोहित साहू “माधुर्य”ने किया।इसके बाद समिति द्वारा कोरोनाकाल में काल कवलित हुए आत्माओं की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखकर, मृतकों के आत्मा को काव्यांजलि एवं श्रद्धांजलि अर्पित किया।