वृक्षों की कटाई से पड़ रहा प्रर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव, एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लिटर ऑक्सीजन छोड़ता है

छुरा-: आज पूरे देश इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुज़र रहा है।आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है। लेकिन इस बार ये संकट ऐसा है, जिसने विश्व भर में पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है।
आज हम सब जिम्मेदार है, साथियों, आज आप सभी देशवासियों से हम कुछ मांग रहे हैं, जंगल की अवैध कटाई को रोको,बन्द करो। वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण वातावरण शुष्कता बढ़ गई है। पेड़ों को इस प्रकार से काटने और पुनः न लगाने के परिणामस्वरूप आवास (Habitat)को क्षती पहुंची है,जैव विविधता को नुक्सान पहुंचता है और वातावरण में शुष्कता (aridity) बढ़ गई है। साथ ही जिन क्षेत्रों में पेड़ों को काटा है वो बंजर भूमि में बदल जाते हैं।
आज लोग घने जंगलों को काटकर
कृषि योग्य बनाने के लिए कब्जा करने लग जाते और वन अधिकार पट्टा बनवा लेते हैं। लेकिन लोग जंगल की अवैध कटाई कर सिर्फ अपने जीवन के लिए ही सोचते हैं, औरों के लिए नहीं।
पेड़ों से केवल हमें लाभ ही नहीं होता यह वातावरण में फैले दूषित वायु को भी शुद्ध करता है।
आक्सीजन खरीद कर जिन्दगी जीनी होगी, इंसान खुद के विकास में इतना अंधा हो गया कि उसने पेड़ों को अंधाधुंध काटना शुरू कर दिया,शहर तो शहर, आज गांवों में भी पेड़ों की संख्या काफी कम हो गई है। अपने स्वार्थ के लिए उसने धरती से उसके हरे-भरे साथियों को ही छीन लिया, पेड़ों ने हर तरह से इंसानों को इतना सबकुछ दिया कि इंसान कभी इसका मूल्य चुका नहीं सकता पर अगर इंसान एक पेड़ लगा दे तो वह एक जीवन को जरूर बचा सकता है।बता दें कि पेड़-पौधे हवा को शुद्ध करने,कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने और ग्रीनहाउस प्रभाव वाली गैसों के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं, जिस तरह से आज पुरी दुनिया में मशीनीकरण बढ़ा है,वह दिन दूर नहीं,जब लोगों को पानी की तरह ही ऑक्सीजन खरीद कर जिन्दगी जीनी होगी। अभी भी वक्त है,संभल जाइए, एक पेड़ जरूर लगाइए। ऑक्सीजन की अहमियत को भूले हुए बहुत देर नहीं हुई है। अगर अब भी आप पेड़ों की अहमियत नहीं समझ पा रहे हैं तो जरा एक बार अखबार पढ़ लीजिए या फिर टीवी देख लीजिए,जिस तरह से सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी बनी हुई है, उसे देखते आपकी रूह कांप जाएगी,जो ऑक्सीजन सिलेंडर अब तक 300-400 रुपए में मिलता था,कोरोना काल में उसकी कीमत 2000₹ तक पहुंच गई है। अपने परिजनों को बचाने के लिए लोग घंटों लाइनों में लगकर ऑक्सीजन सिलेंडर की दोगुनी कीमत चुका रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे सात लोगों को प्राण वायु ऑक्सीजन मिल पाती है। गुज़ारिश यह है कि जिस एक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए आप हजारों-लाखो खर्च करने के लिए तैयार हैं,तो क्या वैसे ही सैकड़ों सिलेंडर भर ऑक्सीजन देने वाला पेड़ लगाने में कोई हर्ज है? अभी भी वक्त है संभल जाओ आपका लगाया एक पेड़ आपकी आने वाली पीढ़ी को नया जीवन दे सकता है।आपका लगाया पेड़ उस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान ला सकता है,जो सांस की बिमारी से जूझ रहा है, फैसला आपको करना है 400 का ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदना है या एक पेड़ लगाकर 07 जिंदगियां बचानी है।
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से बारिश का अभाव भी बना हुआ है। घने जंगलों में पेड़ों की कटाई करने के बाद बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टों के वितरण पर शासन के द्वारा रोक लगाई जाए। जंगल काट कर अपात्रों को बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टों की जांच, अपात्रों को बांटे गए  पट्टों को निरस्त करने और वितरण पर रोक लगानी चाहिए। ग्रामीण घने जंगलों को काट कर वन अधिकार पट्टा प्राप्त कर रहे हैं, इस संंबंध में जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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