आजादी के सात दसक बीतने के बाद भी अंदरूनी इलाके के ग्रामीण पेयजल के लिए कुएं के गंदे पानी पर निर्भर


पखांजुर।कुएं के गंदे पानी पर निर्भर ग्रामीण आजादी के सात दसक बीतने के बाद भी अंदरूनी इलाके के ग्रामीण पेयजल के लिए कुएं के गंदे पानी पर निर्भर है।

मामला कोयलीबेड़ा विकास खण्ड के ग्राम पंचायत कंदाड़ी का आश्रित गांव दोनुर का है।जहां के लोग कुएं का गंदा पानी पीने को मजबूर है।गांव में 3 साल पहले हैण्डपम्प लगा था जिससे ग्रामीण काफी उत्साहित थे।पर हैण्डपम्प से लाल (आयरनयुक्त) पानी निकलने से ग्रामीण मायूस हो गए।

हैण्डपम्प से निकलने वाली पानी पीने योग्य नही होने से ग्रामीण मजबूरन कुआ का पानी पी रहे हैं।शासन गांव गांव में शुद्ध पानी के लिए कई योजना चला रही हैं पर इस गांव के लोग पिछले कई सालों से कुआ के पानी पी रहे हैं जो जीवन के लिए घातक साबित हो सकता है।हैण्डपम्प का पानी इतना गंदा है की लोग उस पानी पीने तो दूर नहाने का उपयोग नही करते है।ग्रामीण को जब हैण्डपम्प से पीने का पानी नही मिल रहा है तो गांव के ही एक पुराने जमाने का कुआ है उसी का पानी पी रहे हैं और अन्य उपयोग कर रहे हैं,और कुआ के भरोसे ग्रामीण निर्भर।

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