पैरी नदी का उद्गम स्थल भाठीगढ़ प्रकृति की सुंदरता के साथ आस्था और विश्वास का केंद्र

? संवाददाता तेनसिंह मरकाम गरियाबंद

गरियाबंद। जिले की विकासखंड मैनपुर से लगभग 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भाठीगढ़ जो कि अपने विशाल का पर्वत श्रृंखलाओं के साथ अनेक देवी देवताओं की आस्था का केंद्र और छत्तीसगढ़ की जीवन वाहिनी पैरी की उद्गम स्थल है भाठीगढ़ 27 फरवरी से मांग पुन्नी मेला का विशाल आयोजन है। पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ में पिछले कई सालों से यूं कहे तो सदियों से माघ पुन्नी की इस अवसर पर विशाल मेला आयोजन किया जाता है परंपरागत अनुसार मड़ाई मेला का आयोजन भी इस दरमियान देखने को मिलता है भाठीगढ़ में छत्तीसगढ़ की अन्य धार्मिक स्थलों मंदिरों में लोगों को जिस तरह से भीड़ रहती है भाठीगढ़ में भी बिल्कुल उसी अंदाज में आज श्रद्धालु बड़े तादात पर पहुंचकर मेला में शामिल होकर देवी देवताओं के दर्शन करते हैं और मान्यता अनुसार श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं भी पूरा होता है
भाठीगढ़ में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ है अपने इष्ट देवी देवताओं की पूजा आराधना मड़ई मेला देवी विवाह का कार्यक्रम भव्य माघ पुन्नी मेला का जिसको लेकर इलाकों में उत्सव का माहौल बना हुआ है 
प्रकृति की सुंदरता और आकर्षक समागम है भाठीगढ़
माघ पुन्नी मेला में भाठीगढ़ पहुंचकर श्रद्धालु जमीन से लगभग 1000 फीट ऊंची पहाड़ी चढ़कर भाठीगढ़ के पैरी उद्गम स्थल की मनोरमा सुंदर दृश्य देखने को मिलता है बताते चलें कि घनघोर जंगलों पर ऊंची पहाड़ियों पर माताजी का मंदिर में विराजमान है पैरी गंगा के नाम से प्रसिद्धि है और काफी सारे मान्यता भी पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ से जुड़ी हुई है लोगों की आस्था विश्वास का केंद्र बना हुआ है हर रोज पहाड़ी चढ़कर लोग अपनी मन्नतें मांग कर भाव भावपूर्ण पूजा पाठ करने का विधान चली आ रही है भाठीगढ़ में कार्तिक पुन्नी मेला और मांग पुन्नी मेला दो शुभ अवसरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ से बाहर पूरे भारत पर श्रद्धालु भाठीगढ़ पहुंचने का सिलसिला चल रहा है माघ पुन्नी मेला का एक अलग खासियत है क्योंकि इस दिन भाठीगढ़ में कई देवी देवताओं की मड़ाई मेला देवी विवाह का उत्सव भी मनाया जाता है भाठीगढ़ के इस पावन भूमि पर यूं तो कई सारे देवी देवताओं की पूजा विधान भाठीगढ़ के पहाड़ियों पर सदियों से चली आ रही है पर मुख्य रूप से मां बम्हनीन, मां दंतेश्वरी, मां भाठीगढ़ीन, मां पहाड़ीवाली,  कलाकुंवर, पाठदेवी, वह प्राकृतिक रूप से स्थित विशाल शिवलिंग मंदिर स्थापित है।
प्रकृति की सुंदरता की दृष्टिकोण से भी पैरी उद्गम स्थल  भाठीगढ़ की काफी बड़ा नाम है हरे भरे पेड़ पौधे ऊंची ऊंची पहाड़ी वह पहाड़ी के ऊपर स्थित है मंदिर और 12 महीने बहने वाली जलधार चिड़ियों की मधुर आवाज बरबस ही श्रद्धालुओं को भक्तों को अपनी ओर खींच ले जाता है
पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ की रोचक तथ्य
पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ की विशेषता बताते हुए बहुत ही खुशी महसूस होता है और आश्चर्य भी की पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ से निकलता हुआ जलधार विश्व प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम राजिम में जाकर मिलता है भगवान राजीवलोचन जी के नगरी में वही राजिम माघ पुन्नी मेला का शुभारंभ भी 27 फरवरी से हो गया है इस तरह से गरियाबंद जिले में आज दो पड़े पर्वों का शुभारंभ हो गया हैभाठीगढ़ मांग पूर्णिमा और विश्व प्रसिद्ध है राजिम में माघ पुन्नी मेला।

भाठीगढ़ मड़ाई देवी विवाह उत्सव

आज की से विशेष कार्यक्रम के दौरान भाठीगढ़ में स्थिति समस्त देवी देवताओं की पूजा विधाना परंपरा अनुसार होगा विशाल मेला का आयोजन होगा मड़ाई बाजार के साथ  शोभायात्रा निकलेगी देवी देवताओं का आकर्षक दृश्य देखने को मिलेगा और श्रद्धालुओं की भीड़भाड़ वाला माहौल देखने को मिलेगा इसके साथ ही आसपास के छोटे व बड़े व्यापारी भी लोगों की हुजूम के चलते आमदनी के लिए आकर्षक खेल खिलौने व मिठाइयां तरह-तरह के व्यंजन मड़ाई मेला की शोभा को और चार चांद बढ़ाने वाला है

भाठीगढ़ आस्था का केंद्र पैरी जलकुंड

पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ उचे पहाड़ी के बीच निकलता हुआ जलधार और पहाड़ी के छोटी ऊपर स्थिति मंदिर और प्राकृतिक रूप से बना हुआ शिवलिंग मंदिर के अंदर की भी अपनी बहुत बड़ी विशेषता है अनेक पर्व त्यौहार पर श्रद्धालु आकर भावपूर्ण पूजा पाठ करते हैं सावन के महीने में तो सदाबहार लोगों की भीड़ लगी रहती है वही कार्तिक के महीने में भी धूमधाम से मेला आयोजन होता है कार्तिक पूर्णिमा पर और अभी माघ के महीने में उसके बाद एक शिवरात्रि के समय भी काफी तादाद में लोगों की भीड़ यहां पर देखने को मिलेगा कहने का मतलब हर मौसम एक विशेष पर्व के दौरान यहां पर भक्तों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।

बात करें पैरी उद्गम स्थल की मंदिर की तो मंदिर के अंदर एक जलकुंड बनी हुई है जो कि 12 महीने पानी निरंतर भरती रहती है और इसी जगह से ही पैरी उद्गम स्थल के नाम से जाना जाता है बड़ा ही रोचक तथ्य है जितनी पुरानी इतिहास खोलोगे हर पन्नो में भाठीगढ़ की नई दिलचस्पी कहानी जानोगे।

पर्यटन स्थल का दर्ज़ा के लिए इंतज़ार

गौरतलब बात यह है कि पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ को पर्यटन का दर्जा दिलाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे है लेकिन अब तक विभाग की ओर से पैरी उद्गमन स्थल भाठीगढ़ को पर्यटन का दर्जा नही मिल पाया है  इस सुंदर आकर्षक मनोरम दिव्य शक्ति जगह जो कि आस्था का विश्वास का धार्मिक का केंद्र बना हुआ है अब तक इसको पर्यटन का दर्जा ना मिल पाया है ग्रामीणों द्वारा लगातार मांग की जा रही है कि भाठीगढ़ को पर्यटन का दर्जा मिले यहां पर बिजली की सुविधा हो पीने के पानी की व्यवस्था हो और अन्य तरह के मांगे हैं ग्रामीण स्तर पर सार्वजनिक कार्य की जा रही हैं सरकार की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल पा रहा है जिस वजह से मैनपुर क्षेत्र के भाठीगढ़ की खूबसूरती प्राकृतिक सुंदरता मनोरमा दृश्य हरे भरे वादियों आकर्षक छवि धारण कीये पैरी उद्गम स्थल को इलाकों के लोगों तक ही सीमित होकर रह गई है पर्यटन का दर्जा मिलता है तो इस जगह की विशेषता खासियत देश विदेश तक पहुँच पाता।फिलहाल भविष्य में आने वाले दिनों में पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ को पर्यटन की दर्जा मिलने की उम्मीदें जताई जा रही है

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