मित्रता में प्रेम से बड़ा कोई धन नहीं : पंडित संतोषानंद, हर परिस्थिति में करें भगवत्कृपा का अनुभव, सच्चा मित्र वही जो निःस्वार्थ हो, वार्ड 24 गांधी चौक के भगवतधाम में कथा जारी

भिलाई। वार्ड 24 गांधी चौक के भगवतधाम में सातवें दिन कथावाचक पं. संतोषानंद तिवारी ने पांडव-सूर्यवंश व सुदामा चरित कथा सुनाई। भगवताचार्य पं. तिवारी ने बताया कि भगवान द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़ते हुए आकर अपने बालसखा सुदामा को गले लगा लिया और राजमहल के सिंहासन में बिठाकर अपने आंसू से पांव पखारे। भगवान ने सुदामा की दो मुट्ठी चावल खाकर दो लोक दे दिया। इस तरह भगवान ने गरीब ब्राह्मण से मित्रता धर्म निभाया।

आगे महाराज ने बताया कि आज तो मित्रता स्वार्थ सिद्धि होते तक की ही रह गई है। सच्चा मित्र वही है, जो मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए निःस्वार्थ उसका समाधान कर दें। आज जिनके पास धनसंपदा हैं वे ही धनवान नहीं, बल्कि जिनके पास प्रेम व संतोष धन हैं वही दुनिया का सबसे बड़ा धनवान है। अमीर-गरीब होने के बाद भी मित्रता में असमानता व भेदभाव नहीं होना चाहिए। कथावाचक ने बताया कि हमें सुदामा की तरह अनुकूल व प्रतिकूल घड़ी में भगवत कृपा अनुभव करना चाहिए। सुदामा-कॄष्ण प्रसंग सुनते हुए भक्त भाव-विभोर हो गए । आज गोलोक गमन व परीक्षित मोक्ष कथा सुनाई जाएगी।

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