पर्यावरण पर भारी पड़ रहा है मुरुम सप्लाई राजस्व और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान

लोकेश्वर सिन्हा
गरियाबंद। पूरे जिले में इन दिनों सड़क निर्माण और नहर लाइनिंग का निर्माण जोर-शोर से जारी है जिसके लिए मुरूम की भारी मांग है साथ ही साथ रेत व अन्य सामग्रियों की मांग बढ़ चुकी है। ऐसे में पूरे जिले में मुरूम मिट्टी या फिर रेत के लिए खनिज विभाग द्वारा कुछ जगह लीज पर दिए गए हैं पर उसके एवज में कहीं ज्यादा घन मीटर खोद रहे हैं ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी खनिज विभाग राजस्व विभाग या वन विभाग को नहीं है। बावजूद इसके जिस तरह पूरे जिले में लूट मची है लूट सको तो लूट लो के तर्ज पर यहां नियम विरुद्ध राजस्व की हानि के साथ साथ पर्यावरण से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। ताजा उदाहरण वन परिक्षेत्र पांडुका के अंतर्गत ग्राम पंचायत गाड़ाघाट ग्राम पंचायत रवेली ग्राम पंचायत सांकरा के बीच में एक छोटा सा प्लांटेशन है जिसमें इन दिनों खुदाई भारी मात्रा में जारी है और मुरूम का उपयोग नए बन रहे सड़क और नहर लाइनिंग में किया जा रहा है उस जंगल को जिस तरह काटा गया है हजारों की संख्या में पेड़ काटे गए हैं जिसमें कई फलदार वृक्ष भी है ऐसे में वन विभाग को कायदे कानून नियम कहां गए इसके लिए बकायदा अनुमति लेना पड़ता है। इस बारे में जब पड़ताल किया गया तो मौके पर ग्राम के कुछ किसान पहुंच गए और उन्होंने बताया कि यह हमारी लगानी जमीन है और इसे हम लोगों ने लीज पर दे रखी है बदले में हमें खेती के लिए मिट्टी डालकर देंगे पर राजस्व विभाग की जमीन है तो पेड़ों की बलि देने से पहले परमिशन क्यों नहीं लिया गया हजारों की संख्या में इस तरह कई पर जमींदोज हो रहे हैं। कईयों को काटकर आरा मशीन से ले जाया जा रहा है। ठेकेदार और अधिकारी कर्मचारी जेब भर रहे हैं पर पर्यावरण को लेकर किसी में कोई चिंता नहीं है तीनों ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि भी मुखदर्शक बन बैठे हैं ऐसे में गांव की वन सुरक्षा समिति के महिलाओं ने जाकर जांच पड़ताल की पर उन्हें भी निजी जमीन लीज होना बताकर चलता कर दिए साथ ही साथ कुछ ग्रामीणों ने बताया कि तहसीलदार राजिम मौके पर पहुंचे थे। लीज में कितनी कितनी घन मीटर में दिया गया है यह स्पष्ट नहीं इसी प्रकार ग्राम पंचायत कुटेना के पास बीते दिनों ग्रामीणों ने तीन हाईवा और चैन माउंटेन मशीन पकड़ी थी मौके पर अधिकारी पहुंचे हाईवे पर कार्रवाई कर थाने में रखा गया पर चयन माउंटेन पर कार्यवाही को लेकर संशय बरकरार बताया जा रहा है कि सत्ताधारी पार्टी के बड़े नेता का हाथ होने की वजह से अधिकारी इन जगहों पर हाथ डालने से कतरा रहे हैं।

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