दुर्ग के एल्डरमेन पर 19 लाख 10 हजार रुपए का धोखाधड़ी करने का आरोप

भिलाई। कांग्रेस का एल्डरमेन दुर्ग वार्ड 5 निवासी देव कुमार सिन्हा ने 19 लाख 10 हजार रुपए का धोखाधड़ी करने का आरोप गवली पारा दुर्ग निवासी पदम जैन ने लगाया है। पदम जैन ने कहा कि देवकुमार सिन्हा जमीन खरीदी बिक्री एवं जमीन दलाली का कार्य करता है। देवकुमार सिन्हा के स्वामित्व व आधिपत्य की परिवर्तित आवासीय भूमि ग्राम बोरसी वार्ड 52 (बोरसी से हनोदा जाने वाले रोड के अन्दर भाग) प.ह.नं.-19/23, रा.नि.मं.कसीरीडीह तहसील व जिला-दुर्ग में स्थित है। जिसका खसरा 256/25 रकबा-0.018हे. (30‘×64‘=1920 वर्गफीट) प्लाट नं.-07 है। जिसे उसने पंजीकृत विक्रय पत्र 2 फरवरी 2017 के माध्यम से मुझे (पद्म जैन) और पत्नी श्रीमती प्रीति जैन से क्रय किया था। जिसे देवकुमार सिन्हा अपने नाम पर प्रमाणीकरण कराने के बाद आज तक निर्बाध रूप से जमीन पर काबिज है। उक्त भूमि को लेकर देवकुमार सिन्हा के द्वारा अनावश्यक रूप से परिवार परेशान हो गया है। व्यापार मार्केट में अपनी छवि को धूमिल होने से बचाने के उद्देश्य से पुनः उक्त भूमि को पद्म जैन क्रय करने का अनुरोध देवकुमार सिन्हा को किया जिसमें वह तैयार हो गया। इस समझौते को लेकर 22 फरवरी 2018 को एक इकरानामा का निष्पादन दोनों के मध्य किया गया। जिसके अनुसार उक्त भूमि की विक्रय प्रतिफल की सम्पूर्ण राशि 11,60,000 (अक्षरी ग्यारह लाख साठ हजार रूपये) चेक 000579 के माध्यम से 23 फरवरी 2018 के द्वारा अदा किया गया है। जिसकी कटौती  खाता से होकर देवकुमार सिन्हा के खाते में जमा हो गया हैं।  जैन ने कहा कि 2 फरवरी 2017 के बाद खरीदी गई जमीन के बयनामा रजिस्ट्री एवं अन्य तरीको से हुए खर्चो की बात देवकुमार सिन्हा के द्वारा कहने पर 6,00000 (अक्षरी छः लाख रूपये) नगद और मेरे सहायक कार्यकर्ता योगेन्द्र गोस्वामी से 6 अगस्त 2018 को इसी सौदे के एवज में 1,50,000 रूपये (अक्षरी एक लाख पचास हजार रूपये) बैंक ट्रंसफर के माध्यम से उसे किया गया। पीड़ित पद्म जैन ने उक्त भूमि के एवज में 19,10,000 रूपये (अक्षरी उन्नीस लाख दस हजार रूपये) देवकुमार सिन्हा के द्वारा प्राप्त कर लिया गया हैं। रकम प्राप्त होने के बाद भी उक्त जमीन को लेकर अनावश्यक मनगढंत कहानी रचकर पति पत्नी, व्यापार में मेरी छवि खराब कर ने का प्रयास कर रहा है। 11 जनवरी 2020 को विधायक दुर्ग के समक्ष,23 फरवरी 2019 को गृहमंत्री 24 जनवरी 2020 को प्रभारी अधीक्षक भू अभिलेख दुर्ग को शिकायत पेश किया था।
नहीं दिया गया सत्यापित छाया प्रति
 पीड़ित पद्म जैन ने बताया कि विभिन्न कार्यालयों के द्वारा जांच प्रतिवेदित अपने रिपोर्ट में आवेदित भूमि खसरा 256/25 रकबा-0.018 हे. (1920 वर्गफीट) भूमि का देवकुमार सिन्हा को नापकर बताया गया। जिसके अनुसार 1920 वर्गफीट भूमि निजी होना तथा श्मशान घाट की भूमि इससे अलग होना प्रतिवेदित किया गया हैं। इसके बाद भी उक्त भूमि को मेरे नाम पर विक्रय नही कर रहा है। बल्किरकम न लौटाने, रजिस्ट्री करने से बचने के लिये लगातार टालमटोेल कर रहा हैं।  उन्होंने कहा कि देवकुुमार सिन्हा स्वामित्व की भूमि खसरा 256/25 रकबा-0.018हे. (1920 वर्गफीट) को मुझे वापस करने विक्रय करने के एवज में 19,10,000 विभिन्न माध्यमों से प्राप्त कर चुका है। जिसकी शिकायत पद्मनाभपुर पुलिस चौकी में कर चुका है। श्री जैन ने आरोप लगाया है कि सीएसपी दुर्ग विवेक शुक्ला, तत्कालीन चौकी प्रभारी पद्मनाभपुर (उपनिरीक्षक टी.के.सार्वा) के द्वारा निष्पक्ष जांच न किये जाने के कारण 12 अक्टूबर 2020 को नोडल अधिकारी,जनशिकायत, निवारण शाखा, विडियो कांफ्रेसिंग कार्यालय  जिला दुर्ग मे उपस्थित होकर ऑनलाइन शिकायत मंत्रालय रायपुर में की गई थी । जिसमें समीक्षा के दौरान चैकी प्रभारी, सीएसपी विवेक शुक्ला, एएसपी प्रज्ञा मेश्राम को तलब किया गया था। एएसपी ग्रामीण शिकायत के बारे में जिला लोक अभियोजक, जिला न्यायालय दुर्ग से अभिमत मांगा गया है। जिसमें कहा गया था कि विभाग से अभिमत आने के बाद अपराध दर्ज किये जाने को लेकर निर्णय लिया जा सकेगा।
दस्तावेज में छल का अपराध दर्शाया गया
 पीड़ित ने कहा कि काफी दिनों तक मेरे शिकायत पर निर्णय न होने पर जनसूचना अधिकारी सिटी कोतवाली दुर्ग को 8 जनवरी 2021 को आवेदन प्रस्तुत कर शिकायत के बारे में कार्रवाई की सत्यापित छायाप्रति मांगी गई। 24 जनवरी 2021 को 120 पेज की जानकारी प्रदान की गई। लेकिन आवेदन में चाही गई महत्वपूर्ण जानकारी विभाग के द्वारा जिन बिन्दुओं में जिला अभियोजक से अभिमत मांगा गया था। पत्र की छायाप्रति तथा जिला लोक अभियोजक के अभिमत की सत्यापित छायाप्रति को जानबूझ कर नही दिया गया। पीड़ित पद्म जैन द्वारा 22 जनवरी 2021 को जिला अभियोजन अधिकारी, जिला न्यायालय दुर्ग से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत कर जानकारी मांगा गया। 27 जनवरी 2021 को जिला अभियोजन शाखा से जुडी जानकारी प्रदाय किया गया। जिसमें पेज क्रमांक 5 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि धारा 415 एवं धरा 420 के उपरोक्त प्रावधानों, संदर्भित पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों के आधार पर मामला लेन-देन का नही, बल्कि ’’छल’’ कर अपराध किया जाना दर्शाना हो रहा है।

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