? जिला संवाददाता तेनसिंह मरकाम गरियाबंद
देवभोग। वर्षों से बिना डिग्री और बिना अनुभव के इलाज कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही की मांग के बाद भी अब तक किसी प्रकार प्रशासनिक कसावट देखने को नहीं मिल रहा है । शायद यही वजह है कि अब मुख्यालय से लेकर गांव गांव में सैकड़ों की तादाद पर झोलाछाप डॉक्टर अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर मरीजों को मौत के हवाले कर रहे हैं । जिससे स्वास्थ्य अमला सहित तत्कालीन कलेक्टर भी अच्छी तरह अवगत रहे लेकिन खानापूर्ति कार्यवाही कर मामला को ठंडे वस्था में डाल दिया और वर्तमान कलेक्टर नीलेश सागर के कार्यकाल मे भी झोलाछाप डॉक्टरों को खुली छूट मिलते दिखाई पड़ रहा है। जबकि जिलाधीश के कार्यप्रणाली को मद्देनजर रखते हुए क्षेत्र के लोगों ने काफी उम्मीद लगाए रखा है। फिर भी प्रशासनिक कार्यवाही से अब तक बिना डिग्री धारी डॉक्टर दूर है। उल्लेखनीय हो कि बीते कई वर्षों से मुख्यालय सहित आजू बाजू के गांव पर बिना डिग्री धारी डॉक्टर लोगों जिंदगी से खेल रहे हैं । तो वही मुख्यालय मे आयुर्वेदिक की डिग्री लेकर एलोपैथिक दवाई के साथ मरीजों इलाज कर रहे हैं। जिससे काफी हद तक मरीजों में साइड इफेक्ट देखने को मिलता है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि आयुर्वेदिक डिग्री रखे डॉक्टर एलोपैथिक दवाई से इलाज तो करते ही हैं उक्त डॉक्टरों के सहयोगी द्वारा भी मरीजों को इंजेक्शन ग्लूकोस बॉटल चढ़ाने के अलावा अन्य तरह की इलाज करते आसानी से देखा जा सकता है । जिससे स्थानीय स्वास्थ्य अमला सहित जिला प्रशासन भी अच्छी तरह अवगत है। लेकिन कार्यवाही का डंडा अब तक उनसे दूर रखा गया है। हालांकि कुछ महीनों पहले डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए चंद दिनों तक क्लीनिक सील की कार्यवाही को अंजाम दिया गया रहा लेकिन पखवाड़े भर में ही पूरे सील बंद क्लीनिक को दोबारा खोलने की अनुमति भी आसानी से मिल गया तभी आज बेधड़क एलोपैथिक की डिग्री लिए बिना इलाज कर रहे हैं । जिससे मरीजों को शारीरिक रूप से काफी नुकसान होने की पूरी संभावना डिग्री धारी डॉक्टर द्वारा बताई जाती है बावजूद इसके स्वास्थ्य आमला हाथ पर हाथ धरे नजर आ रहा है।
अंजू सोनवानी बीएमओ -: पहले झोलाछाप डॉक्टरों के विरुद्ध कार्यवाही किया गया है फिर भी सुधार नहीं आया है तो स्वास्थ्य अधिनियम के तहत इस बार कड़ी कार्यवाही किया जाएगा।