पाटन. छतीसगढ़ प्रदेश के कबीरधाम जिले के शासकीय दृष्टि बाधित,श्रवण एवं मुख बाधित आवासीय स्कूल के एक बच्चा टिकेश्वर ने राज्य गीत को गा कर सुनाया कलेक्टर ने उस वीडियो को वायरल किया उस बच्चे के राज्य गीत गाने से प्रभावित प्रदेश के मुखिया ने कबीरधाम कलेक्टर अविनाश कुमार शरण को उक्त विद्यालय में बेहतर शिक्षा के साथ खेलने के लिये भी सभी सुविधा उपलब्ध कराने की निर्देश दिए है। उसके बाद से कबीरधाम के उस विद्यालय में सभी सुविधा उपलब्ध कराने प्रशासन सक्रिय हो गया है। पाटन क्षेत्र में भी कोई टिकेश्वर जैसे बच्चा हो सकता है लेकिन दुर्भाग्य मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन नगर के अखरा स्थित विद्यालय सरकारी फंड के अभाव में यह विशेष बच्चो को शिक्षा देने वाला विद्यालय जुलाई 2019 से बंद है। जबकि यहां सभी सुविधा पहले उपलब्ध है लेकिन दुर्ग जिला प्रशासन दिव्यांग बच्चो को दी जानी वाली शिक्षा के प्रति प्रशासन गम्भीर नही दिख रही है। जिले का अखरा स्थित एक मात्र आवासीय विशेष प्रशिक्षण केंद्र( R. S. T .C .) सत्र के शुरुवात जुलाई 2019 में ही चल पाया उसके बाद शासन से आबंटन के अभाव में बंद हो गया सन 2010 से दुर्ग जिले की एक मात्र संस्था थी जिसमे दुर्ग,धमधा एव पाटन ब्लाक के श्रवण बाधित,दृष्टि बाधित एव मानसिक विमेदित बच्चे आधुनिक यंत्रो के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने आप को सामान्य बच्चो के समान दिनचर्या अपनाने का प्रयास कर रहे थे। पर केंद्र बन्द होने के बाद बच्चे अपने घरों में असहाय है। इनको किसी भी प्रकार का उन्हें सक्षम बनाने कोई मदद नही मिल रही है। रिसोर्स सेंटर—–विशेष प्रशिक्षण केंद्र अखरा को ही रिसोर्स सेंटर बनाया गया है जो सप्ताह में दो दिन शुक्रवार एव शनिवार को दिव्यांग बच्चो को विशेष प्रशिक्षण देने खुलता है लेकिन इस केंद्र में भी कोई पालक अपने बच्चे को सेंटर दूर होने के कारण लेकर नही आता ,जबकि इस संस्था में आधुनिक यंत्र उपलब्ध है ।
समावेशी शिक्षा-– राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा दिव्यांग बच्चो को शिक्षा देने के लिये समावेशी शिक्षा विभाग बनाया है जिसमे बकायदा शिक्षकों को प्रशिक्षित करके दिव्यांग बच्चो को शिक्षा देने के कार्य मे लगाया है। समावेशी शिक्षा दो स्तर पर दी जाती है पहला गृह आधारित शिक्षा (होम बेस्ड एजुकेशन) जिसमे जो बच्चे स्कूल नही जा पाते उन्हें एक प्रशिक्षित शिक्षक घर जाकर उनके शारीरिक बाधा के अनुसार विभिन्न यंत्रो एव परिवार जनों के माध्यम
से उन्हें स्वालंबन के लिये प्रेरित करते है
स्कूल स्पोर्ट–-समावेशी शिक्षा में दूसरी बात यह है कि जो दिव्यांग बच्चे स्कूल जा पाते है उन्हें स्कूल में ही प्रशिक्षित शिक्षक उन्हें शारीरिक बाधा के अनुसार शिक्षा देते है । पाटन ब्लाक के 18 संकुल में कक्षा एक से लेकर 12 वी तक लगभग 492 बच्चे विभिन्न बाधा के चलते दिव्यांग है। इसके साथ ही 50 से 60 ऐसे बच्चे है जो बहु दिव्यांगता के कारण स्कूल नही जा पाते एव शिक्षा से वंचित है ऐसा नही है कि इनके लिये शिक्षक नही है इनके लिये मात्र एक शिक्षक है इतने बड़े विकासः खण्ड में एक शिक्षक कैसे सब जगह पहुंच पाएंगे ।
समावेशी शिक्षक की कमी—-18 संकुल से बने इस विकासः खण्ड में दिव्यांग बच्चो को शिक्षा देने लगभग 4 प्रशिक्षत शिक्षकों की आवश्यकता है पर मात्र एक शिक्षक ही समावेशी शिक्षा में पदस्थ है जो दृष्टि बाधित बच्चो के लिये पदस्थ किये गए है लेकिन इन्हें भी ऑफिस काम,प्रशिक्षण में जिला मुख्यालय जाना पड़ता है तो इन एक मात्र शिक्षक को भी कम समय मिल पाता है ,, पाटन ब्लाक को श्रवण बाधित में लिय एक शिक्षक,मानसिक विमेदित बच्चे के लिये एक शिक्षक,अस्थि बाधित के लिये एक शिक्षक की आवश्यकता है इस तरह तीन शिक्षक की और जरूरत है। उपकरण सभी तरह के उपलब्ध है पर प्रशिक्षित शिक्षक की जरूरत है
शासन की योजनाएं—स्काट एलाउंस,,,,जो बच्चे दिव्यांगता के चलते स्कूल नही जा पाते उन्हें वाहक की जरूरत होती है इसके लिए उन्हें 10 माह के लिये शासन से 3000 प्रदान किया जाता है जो राज्य कार्यालय से बच्चों के खाते में जाता है पाटन ब्लाक में इस तरह 75 बच्चो का चयन किया गया है।
ट्रांसपोटेशन एलाउंस–दृष्टि बाधित बच्चो को यह सुविधा प्रदान की जाती है इन्हें भी 10 माह का 3 हजार रुपये उनके खाता में दिया जाता है।