रिसाली,, मातृभाषा दिवस मनाने का उद्देश्य भाषाई विविधता एवं संस्कृति को सुरक्षित करने और भाषाई विविधता को बढ़ावा देने और उसके महत्व को बरकरार रखने के लिए प्रतिवर्ष दुनिया भर में 21 फरवरी को मनाया जाता है ।

इसकी शुरुआत यूनेस्को के द्वारा 17 नवंबर 1999 से की गई। इसे पहली बार सन 2000 में पूरे विश्व में 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता के रूप में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. नागरत्ना गनवीर ने इस वर्ष का थीम ” बहुभाषी शिक्षा अंतर पीढ़ी का शिक्षा का एक स्तंभ है ” पर प्रकाश डालते हुए कहा की मातृभाषा पीढ़ीगत शिक्षा को बढ़ावा देने एवं बहुभाषी शिक्षा के महत्व पर जोर देता है। हमारे देश में 22 आधिकारिक भाषाएं है। शिक्षा के सतत् विकास के लिए भाषा आवश्यक है जो ज्ञान के हस्तांतरण और संस्कृति के संरक्षण का प्राथमिक साधन है। इसके पश्चात प्रो. लिनेंद्र कुमार वर्मा ने अपना विचार रखा। उन्होंने मातृभाषा के महत्व को बताते हुए छत्तीसगढ़ी में कविता पाठ किया। कार्यक्रम के अवसर पर छात्राओं ने भी सुंदर एवं मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसमें सर्वप्रथम रानी और सुजाता ने कविता पाठ किया एवं माही के द्वारा शानदार भाषण प्रस्तुत किया गया। डॉ. अनुपमा अस्थाना, प्राचार्य ने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं को बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर वेद प्रकाश सिंह के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अवसर पर प्रोफेसर नूतन कुमार देवांगन, अतिथि व्याख्याता रोशन कुमार एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया।