कुलपति हो या कुल सचिव सीनियर सिटीजन पेंशनर का अपमान नहीं सहेंगे-विजय झा

रायपुर। पं रविशंकर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्ति पेंशनर्स अपने पेंशन पुनर्निर्धारण व कुछ पेंशनरों को छठवें वेतनमान में तथा कुछ को सातवें वेतनमान में पेंशन देने के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

कर्मचारी नेता विजय कुमार झा, विश्वविद्यालय पेंशनर्स कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार मिश्रा व तीर्थ राम यादव ने बताया है कि पेंशन भुगतान न होने से नाराज सेवानिवृत्त पेंशनर विश्वविद्यालय में निरंतर आंदोलन कर रहे हैं। सभी आंदोलनकारी 60 वर्ष से अधिक है क्योंकि 62 वर्ष में सेवानिवृत हुए हैं। इन सीनियर सिटीजन से चर्चा के दौरान कुल सचिव द्वारा दुर्व्यवहार किया गया है। इसकी शिकायत उच्च शिक्षा मंत्री व राज्यपाल व मुख्यमंत्री से किया जा रहा है।

श्री झा ने कहा है की पेंशन पुनरीक्षण, सेवानिवृत कर्मचारियों को पेंशन दिलाने के लिए आज 20 नवंबर को प्रातः 11 बजे छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालयीन पेंशनर्स कल्याण समिति के आव्हान पर सेवानिवृत समस्त वर्ग के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारीगण मूर्ति चौक में एकत्रित होकर 11.11 बजे में स्वामी विवेकानंद जी के गार्डन में विवेकानंद जी की मूर्ति में पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद विवेकानंद जी गार्डन की माटी लेकर समस्त कर्मचारियो को तिलक लगाकर प्रशासनिक भवन से लगे पं रविशंकर शुक्ल जी की तैल चित्र में भी पुष्पांजलि श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कारीडोर में समस्त सेवानिवृत कर्मचारीगण शांति पूर्ण मौन बैठकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं

। इस क्रमबद्ध व चरणबद्ध आंदोलन के दौरान कुल सचिव ने पेंशनरों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। किंतु चर्चा के दौरान उनका व्यवहार अशिसष्ट था। जिसका सर्वत्र निंदा किया जा रहा है

। श्री झा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मांग की है कि विश्वविद्यालय के पेंशनरों को जब तक नियमानुसार पेंशन नहीं मिल जाता, तब तक कुलपति व कुल सचिव के वेतन आहरण पर रोक लगाया जाना चाहिए। ताकि प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत विश्वविद्यालय में लागू हो सके। विश्वविद्यालय के अधिकारी केंद्र सरकार से प्राप्त राशि का ऐसो आराम सुख सुविधा में दुरुपयोग करते हैं और उनके नाक के नीचे सेवानिवृत कर्मचारी जो पूरा जीवन विश्वविद्यालय के मान सम्मान प्रतिष्ठा में अर्पित किए हैं उन्हें पेंशन की सुविधा उपलब्ध कराने में कोई रुचि नहीं लेते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन का व्यवहार अत्यंत अनुचित है। इससे निंदा को भी निंदा आती है।

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