पाटन। पाटन नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में भी रविवार की आंवला नवमी मनाई है। इस दौरान महिलाओं ने आंवला पेड़ की पूजा अर्चना कर परिवार के सदस्यों की लंबी आयु, शौभाग्य, स्वास्थ्य रहने की कामना करते हुए पूजा अर्चना किया। इसके बाद आंवला पेड़ के नीचे ही प्रसाद ग्रहण किया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर आंवले के विशेष पूजा की जाती है। इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। माना जाता है कि इस पर्व पर किए गए आंवला पूजन से घर-परिवार के लोगों को सौभाग्य, अच्छा स्वास्थ्य और लंबी उम्र मिलती है।
पं. के के तिवारी के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल नवमी पर महिलाएं आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं। आंवला नवमी की कहानी सुनती हैं। पूजा के बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा की जाती है। पूजा के साथ ही इस पर्व पर दान-पुण्य करने की भी परंपरा है।
प्रकृति के पूजन का पर्व है अक्षय नवमी
अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का संदेश ये है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। पेड़-पौधों की पूजा करें, इन्हें बचाएं, तभी हमारा जीवन बचा रहेगा। इस पर्व पर आंवले के नीचे बैठकर पूजा और भोजन करने की भी परंपरा है।
आंवला नवमी से जुडी़ मान्यताएं
ये पर्व देवी लक्ष्मी से जुड़ा है। एक कथा के अनुसार, पुराने समय में कार्तिक शुक्ल नवमी पर देवी लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण कर रही थीं, तभी उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने की इच्छा हुई।
देवी लक्ष्मी विष्णु जी और शिव जी की पूजा एक साथ करना चाहती थीं। देवी ने विचार किया कि विष्णु जी की प्रिय तुलसी और शिव जी के प्रिय बिल्व के गुण एक साथ आंवले में होते हैं। ऐसा विचार आने के बाद देवी लक्ष्मी ने आंवले को ही विष्णु जी और शिव जी का प्रतीक मानकर पूजन किया।
देवी लक्ष्मी की इस पूजा से विष्णु-शिव दोनों देवता प्रसन्न होकर प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के पेड़ के नीचे ही विष्णु जी और शिव जी को भोजन कराया। इस कथा की वजह से ही कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवेल की पूजा करने की परंपरा है।
एक अन्य मान्यता है कि अक्षय नवमी को आंवला खाने से महर्षि च्यवन को फिर से जवान हो गए थे। इस मान्यता की वजह से आंवला नवमी पर आंवले का सेवन भी किया जाता है।
आंवले के सेवन से दूर होती हैं कई बीमारियां
आयुर्वेद में आंवले का महत्व काफी अधिक है। कई बीमारियों में आंवले का उपयोग अलग-अलग रूप में किया जाता है। आंवले का रस, चूर्ण और आंवले का मुरब्बा ये सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसके नियमित उपयोग से अपच, एसिडिटी, कब्ज, गैस जैसी बीमारियां दूर रहती हैं।