लोकपर्व पोला में बच्चों ने नदिया बैल खूब दौडा़या

रवेंद्र दीक्षित की खबर,,

छुरा @@@@@अंचल के ग्राम गिधनी,खैरझिटी,ओनवा लोहझर,पण्डरीपानी,मडे़ली खड़मा,पत्तियां,जरगांव,रवेली में सोमवार के दिन पूरे प्रदेश सहित पोल का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए ग्रामीण एक दिन पहले से ही अपनी तैयारी कर लेते हैं।वहीं पोला पर्व पर मिट्टी से बने हुए नदिया बैल की खरीदी कर पूजा किया गया।खासकर बच्चों में ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है जिसमें कुम्हारों के चेहरे भी खिले नजर आ रहे हैं।निंदिया बैल जहां ₹40 से लेकर 200 तक मिल रहे हैं।पोला छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि किसानों का सबसे प्रसिद्ध और पारंपरिक पर्व है।यह त्योहार किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए विशेष महत्व रखता है।बैल पोला त्योहार के दौरान कृषि में उनके अमूल्य योगदान के रूप में बैलों की पूजा की जाती है। *बैलों की होती है पूजा* छत्तीसगढ़ का पारंपरिक और प्रसिद्ध त्योहार पोला न केवल इस राज्य में बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है।यह पर्व विशेष रूप से किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए समर्पित है जिसमें उनके सबसे महत्वपूर्ण साथी बैलों की पूजा की जाती है।भारत, जो कि एक कृषि प्रधान देश है जहां बैल सदियों से खेती के अभिन्न अंग रहे हैं। किसान बैलों की मदद से खेत की जुताई करते हैं और अन्न बोते हैं जिससे धरती हरी-भरी हो जाती है।गाय और बैल को लक्ष्मी के रूप में देखा जाता है और इन्हें सदैव पूजनीय माना गया है।पोला के इस पावन पर्व में बैलों की पूजा की जाती है।इस त्योहार *में बैलों की विशेष* पूजा-अर्चना किया गया। जिनके पास बैल नहीं होते वे मिट्टी के बैल बनाकर उनकी पूजा करते हैं।जिनके घर में बैल होते हैं वे उन्हें अर्ध जल अर्पित करते हैं माथे पर चंदन का टीका लगाते हैं और उन्हें माला पहनाई जाती है।इसके साथ ही बैलों को विशेष रूप से तैयार भोजन दिया जाता है और धूप-अगरबत्ती के साथ उनकी पूजा किया गया।

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