स्वास्थ्य, पशु और खेती तीनों के लिए खतरनाक है गाजर घासःअधिष्ठाता डॉ. अजय वर्मा
पाटन / संत विनोबा भावे कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र मर्रा में आज छात्र-छत्राओं को गाजर घास उन्मूलन सप्ताह के अन्तर्गत छात्रों को जागरूकता का संदेश दिया!विदित हो अधिष्ठाता डॉ. अजय वर्मा ने बताया की गाजर विदेशी घास है जो मानव एवं अन्य जीवों के स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि पर्यावरण को भी आघात पहुंचा रहा है। इसके स्पर्श मात्र से ही खुजली, एलर्जी और चर्म रोग जैसी गंभीर बीमारियां पैदा हो रही है। यह एक शाकीय पौधा है जो किसी भी वातावरण में तेजी से उगकर मानव एवं प्रकृति के सभी जीवों के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है। इसके उन्मूलन हेतु गंभीर प्रयास करने होंगे।
आगे डॉ. वर्मा ने कहा की एक पौधे से 25,000-30000 तक बीज उत्पन्न हो जाते हैं। हर तरह से घातक गाजर घास खाद्यान्न फसल, उद्यान और सब्जियों में भी अपना स्थान बना रहा है। जैव विविधता एवं पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है।ईस दौरान डॉ. सी. आर नेताम सह -प्राध्यापक ने बताया कि यह गाजर घास सन 1965 में अमेरिका से भारी मात्रा में गेहूं के आयात से भारत को सौगात के रूप में मिली है। साथ ही इसको नष्ट करने के उपाय बताए। प्राध्यापक, वैज्ञानिक गण, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राओं ने प्रक्षेत्र में उग रहे गाजर घास को उखाड़ कर नष्ट किया एवं उसके समूल उन्मूलन की शपथ ली। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के प्रभारी श्री प्रवीण कुमार साहू ने गाजर घास उन्मूलन जागरूकता सप्ताह कार्यक्रम के तहत बताया की यह घास तीन चार महीने में अपना जीवन चक्र पूरा कर लेती है। 1 वर्ष में इसकी तीन चार पीढ़ियां पूरी हो जाती है। बच्चों ने रैली निकालकर जागरूकता तथा समूल उन्मूलन की संकल्प ली!साथ ही भारत को ऐक विकसित राष्ट्र बनाने के लिये ईस दिशा में काम करने का आह्वान किया! ईस अवसर पर ई. के. के. ऐस. महिलाँग, डॉ. सुशीला,डॉ.ओमवीर रघुवंशी सहित कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के प्राध्यापक, वैज्ञानिक, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।