अपने मन को मंथन करना ही समुद्र मंथन है:पंडित पुरन शर्मा

  • ग्राम छाटा में श्री शिव महापुराण कथा का छटवा दिन


पाटन। ग्राम छाटा में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन समुद्र मंथन और श्री गणेश विवाह की कथा सुनाई। आचार्य पंडित पुरन शर्मा ग्राम अंडी डोंडी लोहारा वाले ने कथा सुनाते हुए कहा की समुद्र का मंथन जगत कल्याण के लिए हुआ था। उन्होंने कहा की समुद्र मंथन की कथा का वर्णन पुराणों में मिलता है। अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों ने मंदराचल पर्वत और वासुकि नाग की सहायता से क्षीरसागर का मंथन किया। समुद्र मंथन के लिए ही भगवान विष्णु द्वारा कूर्म अवतार धारण किया गया। समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को पीने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया जिसके कारण वे नीलकंठ कहलाए।


उन्होंने कहा की समुद्र मंथन को संपन्न करने के लिए उन्होंने मंदराचल को उखाड़ लिया और समुद्र तट की ओर ले चले। परंतु एक तो मंदराचल पर्वत बहुत भारी था और दूसरे उसे ले जाना भी बहुत दूर था इससे इंद्र, बलि आदि सब के सब हार गए। जब वे किसी प्रकार भी मंदराचल को आगे ना ले जा सके और उनका उत्साह भंग हुआ तो उन्होंने भगवान विष्णु की स्तुति प्रारंभ कर दी। उनकी स्थिति को जानकर भगवान विष्णु गरुड़ पर सवार होकर वहां प्रकट हुए। भगवान विष्णु ने एक हाथ से मंदराचल पर्वत को उठा कर गरुड़ पर रख दिया और स्वयं ही सवार हो गए। फिर देवता और असुरों के साथ उन्होंने समुद्र तट की यात्रा की। पक्षीराज गरुड़ ने समुद्र के तट पर मंदराचल पर्वत को उतार दिया। देवता और असुरों ने नागराज वासुकि को यह वचन देकर की समुद्र मंथन से प्राप्त होने वाले अमृत में तुम्हारा भी हिस्सा होगा उन्हें भी सम्मिलित कर लिया। इसके पश्चात उन लोगों ने वासुकि नाग को नेती के समान मंदराचल में लपेट कर भली-भांति समुद्र मंथन प्रारंभ किया। इसके बाद श्री गणेश विवाह की कथा सुनाई। रिद्धि सिद्धि के साथ श्री गणेश का विवाह को झांकी के माध्यम से कथा के साथ दिखाया गया। इस अवसर पर इस असवर पर प्रमुख रूप से परायण कर्ता सूरज मिश्रा रायपुर, नोहर यादव, मोंगरा यादव, बलदाऊ यादव, एमिन यादव, बलदाऊ यादव, जामवंतिन यादव, हरी यादव, सावित्री यादव, कविता यादव, किरण यादव, सुमन यादव, रेनू शर्मा, पार्वती यादव, उमा निषाद, भगवती साहू, ओम टंडन, शैल बघेल, सरस्वती साहू, उर्वशी साहू, मेघा वर्मा, संजय वर्मा, जगदीश यादव, भगवती विश्वकर्मा, भूषण वर्मा, मानसी वर्मा, भरत वर्मा, भूषणवर्मा, किशन वर्मा, नारायण चेलक, साहेब दास, बलदाऊ , सरोज सहित अन्य मौजूद रहे।

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