पाटन,,, खारुन नदी के तट पर बसे ऐतिहासिक महत्व के ग्राम सोनपुर में लगभग ढाई सौ साल पूर्व से विराजित महादेव द्वय मंदिर जीर्णोद्वार का कार्य जय ज्वाला मां न्यास समिति के सदस्यो के एक वर्ष पूर्व से चल रहे प्रयास से पूर्ण हो चुका है मंदिर जीर्णोद्वार लगभग 50 लाख की लागत से किया गया है मंदिर के पुराने शिव लिंग ,जलहरी, त्रिशूल कलश में पीतल का उपयोग किया गया है तो मंदिर के मुख्य द्वार बस्तर कला का नमूना प्रदर्शित हो रहा है सागोन के लकड़ी में बस्तर कालकृति की झलक दिख रही है तो उजैन से पीतल का सर्प, जलहरी, कलश का वजन 80 किलो वजन का पीतल कलश , त्रिशूल लाया गया है जीर्णोद्वार पश्चात महा शिव रात्रि में प्राण प्रतिष्ठा किया जावेगा
कार्यक्रम अनुसार 6 मार्च को वेदी पूजन,कलश यात्रा,ज्लाधिवास, 7 मार्च को शैय्याधिवास ,8 मार्च को प्राण प्रतिष्ठा,महाभिषेक ,हवन एवम महा आरती होगा इस कार्यक्रम के दौरान भंडारे का भी आयोजन किया गया है रात्रि में धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे जिनमें 6 मार्च को भिभौरी (बेमेतरा) वालो की जस गीत झांकी,7 मार्च को पंचपेड़ी (भखारा) वालो के द्वारा जस गीत झांकी ,8 मार्च को रात्रि शिव भजन की प्रस्तुति होगी ऐतिहासिक महत्व,,सोनपुर में एक ही स्थान में कुछ दूरी पर दो शिव लिंग विराजित है जो ढाई सौ साल पूर्व तात्कालिक मालगुजारी के समय किसी को सपना आने पर गांव के नजदीक से बह रही खारुन नदी से निकल कर स्थापित किया गया था मंदिर के नजदीक ही जलदहरा निर्मित है जिसमे वर्ष भर पानी रहता है पुराने जमाने में किदवंती रही है कि इस जलदाहरा के पानी से कुष्ठ रोग में भी आराम मिलता था पर अब प्रदूषण ,कलकारखाने के कारण अब इसकी मान्यता नहीं बची है इसी ग्राम में ज्वाला विराजित है ,इसी ग्राम में मंझला गांवटिया का मंदिर भी स्थापित है इस मंदिर के विषय में यह मान्यता प्रचलित है की किसी किसान का पशु गुम हो गया है तो इस मंदिर में नारियल चढ़ा कर विनती करने से गुम पशु का पता चल जाता है इस ग्राम से 2 किलो मीटर में खारुन नदी के किनारे पुरातत्व विभाग की खुदाई चल रही है इस तरह इस ग्राम में जीर्णोद्वार पर चार दिन तक धार्मिक वातावरण बना रहेगा