रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी के पुरानी बस्ती में स्थित प्राचीन श्री राजराजेश्वरी महामाया मंदिर सार्वजनिक न्यास के तत्वाधान में गुप्त नवरात्रि के पावन पर्व पर आयोजित 10 फरवरी से श्री दिव्य रुद्र महायज्ञ का आयोजन किया गया है। यज्ञ के पंचम दिवस माघ शुक्ल पंचमी बुधवार को स्कंदमाता देवी के रूप में मां भगवती की आराधना तथा बसंत पंचमी के पावन पर्व पर पीला फूल पीला मिष्ठान आम का मोर चढ़ा कर मां सरस्वती का पूजन किया गया जी सरस्वती की अपार अनुकंपा से सब यज्ञ आचार्य पुरोहित जजमान आज ज्ञान प्राप्त कर यज्ञ संपन्न कर रहे हैं। यज्ञाचार्य पं राजेंद्र प्रसाद तिवारी थान खमरिया वाले तथा मंदिर के आचार्य पं श्री लाल जी त्रिपाठी के आचार्यत्व में 17 ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोचार के साथ हवन कराया गया। कुछ बच्चों को पार्टी पूजन कर आशीर्वाद प्रदान किया। महामाया मंदिर के आचार्य पं मनोज शुक्ला को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मैं उनके कृतित्व को स्थान मिलने पर यज्ञ आचार्य एवं छत्तीसगढ़ प्रभारी सोनम राजेश शर्मा द्वारा मंदिर परिसर में सम्मानित किया गया। न्यास समिति के सचिन व्यास नारायण तिवारी तथा सदस्य पं विजय कुमार झा ने बताया है कि इस अवसर पर अध्यक्ष आनंद शर्मा, दुर्गा प्रसाद पाठक मंदिर व्यवस्थापक, महेंद्र पांडे ग्राम व्यवस्थापक, कोषाध्यक्ष विजय शंकर अग्रवाल, सहित सभी पदाधिकारी कार्यकर्ता व श्रद्धालु गण उपस्थित थे। छत्तीसगढ़ के धर्मावलंबियों, श्रद्धालुओं के प्रतिनिधि स्वरूप बसंत पंचमी के पावन पर्व पर मां सरस्वती का पूजा आराधना किया गया। अनेक बालकों ने गोद में छोटे बच्चों को लाकर पाटी पूजन कराकर आचार्य पं राजेंद्र प्रसाद तिवारी का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर न्यासीगण ललित तिवारी, शेखर दुबे कृपाराम यदु, उपेंद्र शुक्ला, सत्यनारायण अग्रवाल, कुंजलाल यदु, मंदिर पुजारी श्रीकांत पाण्डेय,मनोज शुक्ला, लक्ष्मीकांत पांडे आदि संपूर्ण यज्ञ की व्यवस्था का संचालन कर रहे हैं। यज्ञ आचार्य पं राजेंद्र प्रसाद तिवारी राजा दशरथ को संतान प्राप्ति हेतु माता कौशल्या, कैकई, व सुमित्रा को यज्ञ की खीर का प्रसाद ग्रहण करने से संतान की प्राप्ति हुई थी। उसी भांति संतान प्राप्ति की अपेक्षा वाले दंपति को प्रतिदिन संध्या 6:30 बजे यज्ञ आरती के बाद खीर प्रसाद वितरित किया जा रहा है। पं मनोज शुक्ला द्वारा समय-समय पर तीज त्योहारों के भ्रम को दूर करने, 1200 से अधिक समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होने के कारण उन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है।