राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर मध्य क्षेत्र कुलपति सम्मेलन उज्जैन में आयोजित***

छुरा @@!@मध्यप्रदेश के विक्रम विश्वविद्यालय में दस सत्रों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के 270 से अधिक शासकीय, अशासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए यूजीसी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सौजन्य से आज 2 फरवरी 2024 शुक्रवार को राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ विक्रम विश्वविद्यालय में हुआ। मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल ने कहा कि यह क्षेत्रीय सम्मेलन एनईपी के कई प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विचार-विमर्श कर रहा है, विशेष रूप से शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षा में स्किल प्रदान करने का इकोसिस्टम, अनुसंधान, शिक्षा में नवाचार और उद्यमिता, भारतीय ज्ञान परंपरा तथा अंतर्राष्ट्रीयकरण जैसे क्षेत्रों पर। उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां से निकले दृष्टिकोण, विचार और रोडमैप को सर्वोत्तम पद्धतियों एवं केस स्टडी के एक संग्रह में बदला जाएगा और उसे एनईपी कार्यान्वयन में एक समान दृष्टिकोण लाने के लिए कॉलेज स्तर पर मुहैया कराया जाएगा।सम्मेलन के दौरान कई तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और गवर्नेंस – उच्च शिक्षा तक पहुंच; सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजी) को समान और समावेशी शिक्षा के मुद्दे; शिक्षा और भविष्य की श्रमशक्ति को कौशल प्रदान करने के बीच तालमेल; कौशल, उद्योग संपर्क और रोजगारप्रदेयता के एकीकरण के माध्यम से समग्र शिक्षा; नवाचार और उद्यमिता; अनुसंधान एवं विकास; शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण; और भारतीय ज्ञान प्रणाली आदि पर पैनल चर्चाएं शामिल थीं।इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष और आईआईटी दिल्ली में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के 12वें कुलपति और सामान्य परिषद, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद, (NAAC) के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदेश कुमार भी उपस्थित थे। वें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सदस्य थे और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के सदस्य (पीटी) भी रह चुके हैं। ऐसे महानुभाव से आईएसबीएम विश्वविद्यालय का औपचारिक परिचय हुआ तथा आईएसबीएम विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय ने उनसे अपने विश्वविद्यालय के विकास करने से सम्बंधित महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की।

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