- वाहन खरीदी के बाद वाहन अपने नाम करवाने 11 महीनों से कांट रहे है विक्रेता का चक्कर
रायपुर@ऑटो डेस्क। आजकल ज्यादातर लोग 4 व्हीलर में सफर करना पसंद करते हैं। जिन लोगों के पास ठीक-ठाक पैसा है वो लोग नई कार खरीद लेते हैं लेकिन जिनके पास कम बजट है वो लोग सेकेंड हैंड कार से ही काम चला लेते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मार्केट में सेकेंड हैंड कारों का भी एक बड़ा सेगमेंट है। हालांकि सेकंड हैंड कार की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कई तरह के फ्रॉड के मामले में भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में अगर आप सेकेंडहैंड कार खरीद रहे हैं तो आपको और भी ज्यादा सावधान रहने की जरुरत है। ऑनलाइन में आपको कोई और कार दिखाकर दूसरी कार बेच देते हैं। ऐसे कई मामले भी सामने आ चुके हैं इसलिए सेकेंड हैंड कार ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन तरीके से ही खरीदने की कोशिश करें। इसके अलावा जब भी पुरानी कार खरीदें तो अच्छी तरह से जांच-परख लें।लोग अक्सर सेकेंड हैंड कार खरीदते समय ठग जाते हैं। इसका मुख्य कार गाड़ी संबंधित कम जानकारी होना है। इसलिए अगर आप भी यूज्ड कार खरीदने जा रहे हैं तो इस खबर को जरूर पढ़ें।
राजधानी रायपुर में यूस्ड कार क्रेता हुआ धोखाधड़ी का शिकार
रायपुर के लालपुर स्थित नीरज मोटर्स से सेकेंड हैंड वैगन आर कार खरीदने वाले एक उपभोक्ता ने हमारे संवाददाता को बताया कि उनके साथ किस तरह से फ्राड किया गया। 13 जनवरी 2023 को नीरज मोटर्स से एक वेगन आर क्रमांक CG04 HC 5438 खरीदा गया था। वाहन खरीदी बिक्री के समय मोटर्स संचालक द्वारा जवाबदारी पत्र के माध्यम से 90 दिनों के भीतर वाहन का नाम क्रेता के नाम पर ट्रांसफर किये जाने की बात हुई थी। तय अवधि में नाम ट्रांसफर नही होने के बाद क्रेता द्वारा उक्त मोटर्स संचालक को उनके मोबाईल नम्बर में और उनके कार्यालय में जाकर नाम ट्रांन्सफर के सम्बंध में जानकारी लिया गया। तब विक्रेता द्वारा एक सप्ताह के भीतर हो जाने की बात कहा गया। सप्ताह भर बाद नाम ट्रांसफर नही होने के बाद क्रेता द्वारा अपने थाना क्षेत्र में लिखित शिकायत भी किया गया था। तब एक महीने के भीतर नाम ट्रांन्सफर करवाये जाने की बात की गई। वाहन क्रेता इस दौरान कई बार मोबाइल से और सीधे संपर्क भी किया लेकिन नतीजा शून्य रहा। तब जाकर क्रेता द्वारा न्यायालय का शरण लिया गया। वकील के माध्यम से उक्त वाहन क्रेता को नोटिस भेजे जाने के बाद वाहन की खरीदी की पूरी रकम दिए जाने का करार हुआ।
जिसके बाद वाहन विक्रेता ने क्रेता को चेक के द्वारा पेमेंट किया गया लेकिन उक्त खाते में रकम नही होने के कारण चेक बॉउन्स हो गया। जिसके बाद आजकल में रकम दिये जाने की गोलमोल जवाब दिया जाने लगा। वाहन विक्रेता पिछले 11 महीनों से नीरज मोटर्स के संचालक को मोबाइल से एवं सीधे संपर्क किया लेकिन उनके द्वारा लगातार गोलमोल जवाब दिए जाने से परेशान होकर क्रेता द्वारा दुबारा वकील के माध्यम से चेक बॉउन्स होने का नोटिस भेजा गया।