कलश यात्रा के साथ त्रिदिवसीय संत सम्मेलन का आगाज

  • सन्तो ने कहा सत्यम,शिवम,सुन्दरम को पहचानने के लिए आन्तरिक शक्तियो की पहचान आवश्यक स्वयं की पहचान, हमारी शक्तियों और कलाओं को जागृत करती है, और मन की श्रेष्ठ स्थिति और वृत्ति समाज को प्रभावित करती है — ब्रह्माकुमारी राखी बहन
  • आत्म ज्ञान का धन हमारे अन्तर्मन मे सुरक्षित है जिसे ध्यान के माध्यम से सहजता से प्राप्त किया जा सकता है—- संत विचार दास साहेब

छुरा @@@@@सत्यम शिवम सुन्दरम को पहचाने के लिए आन्तरिक शक्तियो की पहचान को लेकर त्रिदिवसीय संत सम्मेलन का शुभारंभ चम्पेश्वर महादेव के शरणास्थल चम्पारण मे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में 28 जनवरी रविवार को किया गया। कबीर आश्रम नवापार से पधारे संत विचार दास साहेब जी व गायत्री शक्तिपीठ अभनपुर से पहुंचे एस आर चौरासीया जी के आतिथ्य मे आयोजित संत सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रह्माकुमारीज़ की क्षेत्रीय संचालिका राजयोगिनी पुष्पा दीदी ने की,वही जिला मुख्यालय गरियाबंद ब्रह्माकुमारीज़ सेवा केंद्र की संचालिका बिंदु बहन,तहसीलदार योगेन्द्र कुमार देवान्गण व कार्यक्रम के संयोजक मौण्टआबू से पधारे राजयोगी माखन भाई जी विशेष अतिथी विराजमान रहे। चम्पारण सेवा केंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी शकुन्तला बहन ने सभी अतिथियो एवं सभा का स्वागत वंदन किया वही ब्रह्माकुमारी बहनो ने अंग वस्त्र व बैच लगाये एवं ईश्वरीय सौगात भेट कर सम्मानित किये । वही मुख्य वक्ता के रुप मे बिलासपुर से पहुंची ब्रह्माकुमारी राखी बहन ने सन्तो के सम्मेलन मे कहा की भौतिकता के भागदौड वाले जीवन मे मानव परिस्तिथियों से हार कर अशांत दुखी व परेशान हो गया है,ऐसे समय मे आध्यात्मिक ज्ञान से सत्यम,शिवम,सुन्दरम को पहचान कर अपने अंदर की आन्तरिक शक्तियो को जागृत करना होगा। उन्होने कहा कि आध्यात्म हमे परमात्मा की ओर आकर्षित कर देता है।उस परम शक्ती से मन बुद्धि की तार जोडने से ही मन मे हमे सुख , शान्ति ,आनन्द व प्रेम की अनुभूति होती है,जिसे पाने के लिए बाहर खोजने की आवश्यकता नही,अपने भीतर की ओर जाना पड़ता है , जब हम अंदर से प्रकाशवान होंगे तो हमारा जीवन स्वत: प्रकाशित होगा। हम अपने आन्तरिक शक्तियो की पहचान आध्यात्म से ही कर सकते है जिसके माध्यम से परमात्म शक्तियो को जीवन मे संजोकर दिव्यता की अनुभूति कर सकते है।

कबीर आश्रम के संत विचार दास साहेब ने कहा कि जब शरीर और मन दोनो शान्त हो सारी आकांक्षाये समाप्त हो चुकी हो,और सारा केंद्र बिन्दु आत्मा पर स्थित हो ऐसे मे ध्यान हमे बोध कराता है कि हमारे मौन मे ही परम शान्ती है,और वही से ही आन्तरिक शक्तियो का जागरण होता है। जिस सत्य को जानने के लिए शिवम की ओर जाना पड़ेगा ,और उसे पा गए तो जीवन सुन्दर जायेगा। गायत्री शक्तिपीठ से आये संत आर,एस चौरसिया ने कहा की आत्म ज्ञान का धन हमारे अन्तर्मन मे सुरक्षित है,जिसे ध्यान के माध्यम से सुगमता पुर्वक प्राप्त किया जा सकता है।उन्होने अन्त:करण की शुद्धि के लिए यज्ञ ,जप तप,संयम,सेवा,साधना को आवश्यक बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से हम मन की चंचलता पर जीत पा सकते है।ये मन का विकार ही स्वयं को पहचानने मे अवरोध है। गरियाबंद से आयी ब्रह्माकुमारी बिन्दु बहन ने कहा की भारत एक आध्यात्मिक देश है ,यहाँ के रहवासियो के विचारो,सन्स्करो मे मे आध्यात्मिकता की झलक मिलती है, आज देश मे आध्यात्मिकता की गंगा बह रही क्योकि हर देश वासियो की मन का तार,उनके संकल्प ,विचार,हर आत्मा का संबंध हर रुप से उस परम सत्ता परमात्मा राम से जुडा हुआ है यह पल का दर्शक पुरा देश रहाहै यही अनुभूति है,देशवासियो के आन्तरिक शक्तियो के पहचान का। वही तहसीलदार योगेन्द्र देवान्गण ने ब्रह्माकुमारीयो की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि की खुद को जानने से खुदा को भी जान सकते है।उस ज्योती स्वरुप परमात्मा शिव का अंश हम सभी आत्माए भी है,उनके दिव्य्ता,उनके गुण,शक्तिया हमारे अंदर निहित है।उसे पहचानने के लिए अध्यात्म ही एक रास्ता है।जिस पर चल कर आन्तरिक शक्ती की पहचान हो सकती है। अन्त मे कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही पुष्पा दीदी ने आशीर्वचनस्वरुप कहा कि परमात्म के जड़ मुर्ति को सभी देखते है,पर उनके आन्तरिक शक्ती की अनुभूति को अभी सबने अनुभव किया।पुरा विश्व शान्ती,प्रेम,एकता की चाह रखते हैं देने वाला सत्यम शिवम सुन्दरम एक शिव बाबा है।जिसकी कृपा सभी आत्माओ पर बरसती रह्ती है।जिसकीअनुभूति हर आत्माओ ने किया यह प्रत्यक्षता पुरा भारत 22जनवरी को किया । कार्यक्रम का संचालन गणेश भाई ने किया। संयोजक ब्रह्माकुमार माखन भाई ने बताया की 29 जनवरी को आन्तरिक शक्ती का विकाश विषय पर महिला सशक्तीकरण एवं 30जनवरी को सामाजिक समरसता सम्मेलन का आयोजन चम्पारण के हाई स्कूल के सामने सत्य साई प्रांगण मे दोपहर 2:00बजे से 5:00 बजे तक आयोजित किया गया है । कार्यक्रम मे ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के सदस्य गण एवं नगर के आध्यात्मिक जगत से जुडे हुए विद्वान एवं नगरवासि बडी संख्या मे मौजुद रहे।

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