खबर हेमंत तिवारी राजिम/जिले के जीवन दायिनी पैरी नदी, महानदी,सरगी और सुख नदी में खनिज विभाग के पार्टनरशिप में अवैध खदान संचालित हो रहा है। हालांकि यह बात खुलकर सामने नहीं आ रही है। पर यह बात तो पक्का है कि पर्दा के पीछे खनिज विभाग के कर्मचारी और अधिकारी की हाथ है तभी तो इन अवैध रेत घाट पर कार्रवाई नहीं कर पार्टनरशिप होने का प्रमाण पेश कर रहा है।इस वजह से ही अपने चिन्हांकित खदानों में कभी भी कार्रवाई नहीं करते जब नेताओं, मीडिया का ज्यादा दबाव होता है। तो दिखावे के लिए कुछ कार्रवाई कर देते हैं। तो वही कुछ स्वीकृत खदान में 24 घंटा दिन रात चैन माउंटेन से खुदाई हो रहे उसमें भी खनिज विभाग और जिले के आला अधिकारियों का मिली भगत है।और बराबर का हिस्सा होने की वजह से
जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं करते जैसे चौबेबांधा , रावड, पितईबंद, परसदाजोशी और बिरोड़ा खदान शामिल है। सीधा-सीधा खनिज विभाग का हस्तक्षेप कार्यवाही को लेकर आज तक इन खदानों पर कभी नहीं हुआ है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि खनिज विभाग की तगड़ा सेटिंग है ।जिस प्रकार जिले में रेत और मुरूम की चोरी हो रही है जिसके ऊपर कारवाई करने की हिम्मत विभाग नहीं जुटा पा रहा है पर बाकायदा करवाई और दिखावे के लिए खनिज विभाग की गाड़ी को राजीम आसपास अधिकतर देखा जाता है ।जो यह दिखाने का प्रयास करता है की विभाग सक्रिय है और कार्यवाही के लिए आता है। पर लोगो के आंख में धूल झोंकना आसान नहीं है। जिस तरह से धड़ल्ले से दिन रात 24 घंटा रेत का अवैध परिवहन हो रहा है ,अवैध घाट संचालित हो रहा है ।यह जग जाहिर है । तो वही इसमें सफेद पोश नेता भी रेत माफिया के साथ खड़े है। पर सबसे बड़ा खेला राजिम से होता है। जहा हाईवा गाड़ियों को डाइवर्ट करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कौन से खदान में कितनी गाड़ी जाना है। वह सब पूरा गणित रेत माफिया कर रहे हैं तभी तो आज तक इन खदानों में जिले के आला अधिकारी भी एक भी कार्रवाई नहीं की है। और जब खनिज विभाग के जिला खनिज अधिकारी और खनिज निरीक्षक को फोन लगाया जाता है तो कभी भी फोन रिसीव नहीं करते जवाब देने से बचने के लिए जान बुचकर मोबाइल रिसीव नहीं करते है। जिससे रोज लाखो रुपया का राजस्व का घाटा शासन को हो रहा है।पर इन से इन्हें कोई मतलब नहीं।अपना काम बनता,, भांड में जाय जनता ??