खबर हेमंत तिवारी
राजिम- भ्रष्टाचार के इस युग में ईमानदार व्यक्ति की कहीं भी पूछ परख नहीं है। पर कहावत बना है की किस्मत हाथों के लकीरों में होती हैं, लेकिन जिनके हाथ ही नही होते किस्मत उनकी भी होती हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला
ब्लॉक मुख्यालय फिंगेस्वर के ग्राम पंचायत कुंडेल में जहां मनबोध बघेल के पुत्र गोविंद बघेल का जन्म से ही दोनों हाथ विकसित नही पाया। लेकिन पढ़ाई के क्षेत्र में अपने हौसले के दम पर गोविंद ने अर्थशास्त्र में एमए की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। लेकिन किस्मत का खेल तो देखो इतनी पढ़ाई करने के बाद भी वे रोजगार की तलाश में दर दर भटक रहे हैं। लेकिन शासन प्रशासन की अनदेखी के वजह से गोविंद को कोई रोजगार नही मिल रहा हैं।
दोनों हाथ से विहीन गोविंद विधायक-सांसद व जिला प्रशासन में रोजगार के लिए आवेदन लगा चुके लेकिन दोनों हाथ नहीं होने के कारण उन्हें रोजगार देने में साफ मना कर दिया गया। मतलब जितना जुल्म भगवान ने गोविंद के साथ किया, उससे ज्यादा जुल्म तो शासन-प्रशासन कर रही हैं। गोविंद का कहना है कि वे ज्यादा मेहनत तो नही पाएगा, लेकिन वे कोई भी विभाग में लिखा पढ़ी का काम बखूबी कर सकता हैं। उनका यह भी कहना है कि जिनके एक हाथ, एक पैर या दोनों पैर नही होते उन्हें प्रशासन विकलांगता के आरक्षण में जॉब दिला देते हैं। लेकिन जिनके दोनो हाथ न हो उसके लिए प्रशासन द्वारा कोई अलग से आरक्षण की श्रेणी नही बनाया गया हैं। जिसके कारण उन्हें रोजगार नही मिल रहा हैं।ब्लॉक मुख्यालय फिंगेश्वर के ग्राम पंचायत कुंडेल निवासी मनबोध बघेल के 4 बेटा व 1 बेटी में से तीसरे नंबर के बेटा गोविंद का जन्म 9 सितंबर 1997 को हुआ। जन्म के बाद दोनों हाथ विकसित नही हो पाया। जिससे उनके परिवार वाले काफी चिंतित रहते थे। वह अपने पैरों को ताकत बनाकर रोजमर्रा के कार्य के साथ साथ लिखने का भी अभ्यास शुरू किया। उनके हौसले को देखकर परिवार वालो ने ग्राम कुंडेल के प्राथमिक शाला में भर्ती कराया। जिसके बाद से वे बिना रुकावट के एमए तक की पढ़ाई पूरी कर चुका हैं। वे पोस्ट ऑफिस विभाग में आवेदन लगाया था लेकिन दोनों हाथों से
विकलांग व्यक्ति के लिए आरक्षण नही होने के कारण उन्हें इस विभाग में रोजगार नही मिल पाया। अगर गोविंद को रोजगार का साधन नही मिलता हैं तो उसे भविष्य में जीविकोपार्जन में भारी तकलीफ का सामना करना पड़ सकता हैं।सरकारी सुविधा के नाम पर समाज कल्याण विभाग से मात्र 500 रुपये नाकाफी- गोविंद बघेल का जन्म से ही दोनों हाथ विकसित नही हो पाया। वह अपने ताकत के बूते एमए तक कि पढ़ाई पूरी कर चुका हैं। विकलांग होने के कारण उसे समाज कल्याण विभाग से सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तौर पर प्रति माह 500 रुपये तो मिलता हैं। लेकिन यह राशि बढ़ते उम्र के साथ नाकाफी हैं। इसलिए वह वर्तमान में रोजगार तलाशने में जुट हुआ हैं। लेकिन कोई भी जगह उसे रोजगार नही मिल रहा हैं। वहीं, विभाग द्वारा गोविंद को कृत्रिम हाथ लगवाने की भी सलाह दिया गया लेकिन उन्होंने कृत्रिम हाथों से दैनिक दिनचर्या प्रभावित होने की आशंका के कारण कृत्रिम हाथ लगवाने से मना कर दिया।जिला प्रशासन सहित विधायक-सांसद तक गए लेकिन नही मिला रोजगार- दोनों हाथों से विकलांग गोविंद बघेल ने बताया कि वह रोजगार के लिए स्थानीय विधायक-सांसद सहित कलेक्टर दफ्तर में आवेदन लगाया। जहां विधायक-सांसद ने तो सिर्फ आश्वासन देकर अपनी काम पूरी किया तो वहीं, पिछले अक्टूबर माह में जिला कलेक्टर के समक्ष रोजगार के लिए आवेदन लगाया। जिला कलेक्टर द्वारा साफ मना कर दिया कि आपको रोजगार नही दिला सकते। जबकि गोविंद सुपरवाइजर सहित लिखा पढ़ी की काम कर लेने की बात कह रहा हैं।