कैबिनेट ने खुद किया धान खरीदी में कांग्रेस की झूठ का पर्दाफाश : ललित चंद्राकर**भूपेश सरकार ने माना कि केंद्र सरकार ही खरीदती है धान : ललित चंद्राकर*

*दुर्ग *(सतीश पारख)* जिला भाजपा महामंत्री ललित चंद्राकर ने कहा है कि धान खरीदी को लेकर अपनी ही सरकार द्वारा लगातार फैलाये जा रहे झूठ का पर्दाफाश कैबिनेट की बैठक से ही हो गया है। उन्होंने माना है कि छत्तीसगढ़ का धान केंद्र सरकार ही खरीदती है। भाजपा नेताओं ने कहा कि झूठ के पैर नहीं होते और सच को लंबे समय तक दबाया नहीं जा सकता। जारी विज्ञप्ति में जिला महामंत्री ललित चंद्राकर ने कहा कि भूपेश केबिनेट ने अपनी बैठक में माना है कि भारत सरकार ही धान खरीदती है और केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर धान एवं मक्के का उपार्जन एक नवंबर से किया जाएगा। अपने दम पर धान खरीदी का दंभपूर्ण बयान देकर कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार जिस तरह छत्तीसगढ़ के किसानों को बरगलाने का काम लगातार करती आ रही थी, अब उस झूठ और प्रपंच का पर्दाफाश हो गया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि धान खरीदी को लेकर प्रदेश की कैबिनेट के फैसले ने कांग्रेस के उस दावे को खोखला करार दिया है जिसमें कांग्रेसी दावा कर रहे हैं कि वे बिना केंद्र के सहयोग के छत्तीसगढ़ में धान खरीद सकते हैं। यदि कांग्रेस और भूपेश सरकार में इतना दम है तो केंद्र के साथ किए गए उस एम.ओ.यू. को निरस्त कर दे जिसमें यह शर्त है कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के उत्पदित धान मिलिंग करार के मुताबिक राज्य सरकार से खरीदेगी। भाजपा जिला महामंत्री ललित चंद्राकर ने दावा किया कि भूपेश सरकार में इतना दम नहीं है कि वह मोदी सरकार के सहयोग के बिना छत्तीसगढ़ में धान खरीदी कर सके। उन्होंने कहा कि धान की कीमत की 80 से 90 प्रतिशत राशि मोदी सरकार देती है। सच्चाई यह है कि राज्य सरकार जितना धान संगृहीत करती है, उसका लगभग 85 प्रतिशत धान चावल के रूप में मोदी सरकार खरीदती है।श्री चंद्राकर ने कहा कि भूपेश सरकार धान खरीदी में काफी घालमेल करके झूठ परोस रही है और किसानों व प्रदेश को गुमराह कर रही है। केन्द्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों का पूरा का पूरा धान खरीदने के लिए तैयार है, पर भूपेश सरकार सहयोग नहीं कर रही है। पिछले खरीफ मौसम में प्रदेश सरकार को धान खरीदी के बाद 61 लाख मीट्रिक टन चावल भारतीय खाद्य निगम को जमा करना था। बाद में यह कोटा राज्य सरकार के अनुरोध पर घटाकर 58 लाख मीट्रिक टन किया गया, लेकिन उसमे भी राज्य की कांग्रेस सरकार ने केवल 53 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया। जबकि सरकार दावा कर रही है कि छत्तीसगढ़ में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। भाजपा नेताओं ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा धान खरीदी में घोटाले की साजिश दिखाई दे रही है। कांग्रेस की मानसिकता दिखाती है कि इस मामले में वह केवल सियासत करना चाहती है। भूपेश सरकार का कृषि विभाग केंद्र सरकार को आंकड़ों सहित बता रहा है कि प्रदेश में प्रति एकड़ धान का औसत उत्पादन जब 13-14 क्विंटल है तो प्रदेश की सरकार किस आधार पर 20 क्विंटल धान खरीदने का दावा कर रही है? इससे स्पष्ट होता है कि अन्य राज्यों से अवैध तौर पर प्रदेश में धान कांग्रेस सरकार की कथित सहमति से बेचा जा रहा है। यह एक तरह से धान की तस्करी जैसा मामला है। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि चावल तस्करी से पैसा खाने की योजना कांग्रेस बना चुकी है, इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार धान खरीदी प्रक्रिया में बायोमेट्रिक पध्दति का उपयोग कर रही है। जब केंद्र सरकार द्वारा बायोमेट्रिक एंट्री की बात कही जा रहा है तो कांग्रेस की पूरी सरकार इस बात को लेकर भयभीत है।

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