पानी रहते प्यासा गांव चरौदापारा विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के लोग स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं।

खबर हेमंत तिवारी छुरा। जिला मुख्यालय गरियाबंद के छुरा वि.ख. से लगभग 7 कि.मी.दूरी पर ग्रा.पं. देवरी के (बिरोडार) चरौदपारा यहां आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र और मुख्य मार्ग से कुछ दूरी पर जंगल अंदर है, जहां कमार जनजाति के लोग रहते हैं। इन कमार जनजाति परिवारों को जिस प्रकार बुनियादी सुविधा मिलनी चाहिए, वह सुविधा अभी तक अधूरा दिखाई दे रही है। जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचना चाहिए लेकिन नजर डाले तो काम अभी भी अधूरा है। हर पंचायत में नल का कनेक्शन लगा दिया है, लेकिन सिर्फ शोफिस के लिए। राज्य सरकार की 5 साल पूरा होने को है लेकिन गरीब परिवारों तक नल जल योजना सिर्फ शोफिस जैसा है। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष कर महिलाओं और बच्चों के लिए जीवन को आसान बनाने जैसे नल जल योजना अंतर्गत जल जीवन मिशन यानी नल का पानी उपलब्ध कराने, स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने राज्य और केंद्र सरकार नाकाम साबित होती नजर आ रही है। कमार जाति के ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में सरकार की पोस्ट तो पहुंच रही है दीवारों पर लेकिन योजनाएं नहीं। हम अपने हक के लिए अपने पंचायत की जिम्मेदारों को बोलकर थक चुके हैं कि हमें स्वच्छ पानी के लिए खराब हो चुके बोरिंग जिसमें मशीन लगा है। उनको जल्द टिक करा दो लेकिन अभी तक इस पर सुध नहीं लिया गया। ग्रामीणों ने बताते हुए कहा कि जो हमें आर्थिक मदद आदिवासी विकास परियोजना कार्यालय, कमार एवं भुंजिया विकास अभिकरण गरियाबंद से मिलनी चाहिए वह हमें नहीं मिली। इस दौरान दशरी बाई कमार, कुलवंती बाई कमार, जवांतीन बाई, नंदबाई, मंगली बाई, चैती बाई, पुनाई बाई, सुकली, फूलबाई, देवकी, दुलारी, बसदेव कमार, हिरालाल, पुनाराम, गरियाबंद जिला के समाजसेवी मनोज पटेल, रेखराम ध्रुव ने इन ग्रामीणों की समस्या को जल्द से जल्द दूर करने शासन प्रशासन से अपील की।

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