किसी ने तलाक के लिए तो कोई रूठी पत्नी को घर ले जाने लगाया था आवेदन, समझाइश देकर कराया मिलाप

खुशहाली के लिए उपहार स्वरूप सौंपे गए पौधा।

नेशनल लोक में पक्षकारों के राजीनामा के आधार पर हुआ प्रकरणों का निपटारा।

लोकेश्वर सिन्हा@ गरियाबंद। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय गरियाबंद में पारिवारिक कलह के कारण रूठी हुई पत्नि को घर ले जाने पुनर्स्थापना और किसी ने अलग होने के लिए तलाक का आवेदन लगाया था। डेढ़–दो साल से चले आ रहे इस दोनों लंबित प्रकरण को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गरियाबंद तजेश्वरी देवी देवागंन की गठित खण्डपीठ में दोनों पक्षों को समझाइश देकर राजीनामा के आधार पर उन्हें एक साथ खुशी–खुशी घर भेजा गया। एक–दूसरे से अलग होने और दूसरा रूठी हुई पत्नि को घर ले जाने के लिए न्यायालय में पहुंचे दंपती जब न्यायालय कक्ष से बाहर निकले तो फिर से साथ चलने के लिए एक–दूसरे का हाथ थामे हुए थे। समझाइश और राजीनामा के आधार पर इन परिवारों को फिर से बसा दिया गया। इससे संबंधित दंपतियों के चेहरों पर खुशी नजर आई। उनके परिवार के सदस्यों के चेहरों पर भी न्याय से संतोष एवं खुशी साफ तौर से झलक रही थी।

खुशी–खुशी साथ गए घर, खुशहाली के लिए भेंट किए गए पौधा–

बताया गया कि वर्ष 2021 के एक प्रकरण में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत आवेदक नूतन सिंह ध्रुव द्वारा अपनी रूठी हुई पत्नि सुभद्रा बाई को घर ले जाने पुनर्स्थापना के लिए आवेदन लगाया गया था। जिस पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गरियाबंद तजेश्वरी देवी देवागंन की गठित खण्डपीठ द्वारा दोनों पक्षों को समझाइश देकर राजीनामा के आधार पर घर भेजा गया। इस दौरान दंपती को खुशहाल जीवन के लिए उपहार स्वरूप पौधा भेंट किया गया।

– वहीं दूसरा प्रकरण सन 2022 का है, जो कि मुस्लिम तलाक का मामला है। जिसमें आवेदिका ने पति पर दावा किया था कि वह उस पर शंका करता है। पति के शंका से आवेदिका/पत्नि परेशान रहती थी। जिस पर आवेदिका ने मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 की धारा 02 के तहत में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था। दोनों पक्षों को न्यायालय द्वारा समझाइश दी गई और राजीनामा के आधार पर उन्हें भी खुशहाल जीवन के लिए उपहार स्वरूप पौधा भेंट कर घर भेजा गया।

पांच साल पुराना लंबित मामले का निपटारा–

बताया गया कि व्यवहार वाद प्रकरण क० 17अ/2016, पक्षकार किशोरी लाल वि० सतीश वगैरह, का प्रकरण 05 वर्ष की अवधि से अधिक समय से न्यायालय में लंबित था। उक्त प्रकरण वादीगण के द्वारा प्रतिवादीगण के विरूद्ध उद्घोषणा, स्थायी निषेधाज्ञा, कब्जा एवं रजिस्ट्री पंजीयन निरस्त करने बाबत् दिनांक 24/11/2016 को इस न्यायालय में पेश किया गया था। उक्त प्रकरण में किया नेशनल लोक अदालत दिनांक 09/09/2023 को पक्षकारों को आहुत गया। न्यायालय के द्वारा दोनों पक्ष को प्रकरण में आपसी समझौते के माध्यम से प्रकरण का निराकरण कराने की समझाईश दी गई, जिस पर उभयपक्ष के द्वारा आपसी राजीनामा के आधार पर प्रकरण के निराकरण हेतु तैयार हुये। तत्पश्चात् राजीनामा आवेदन एवं उभयपक्ष के साक्ष्य लिये जाने उपरांत प्रकरण का निपटारा किया गया । माननीय उच्च न्यायालय छ0ग0 बिलासपुर के निर्देशानुसार 05 वर्ष एवं 10 वर्ष से अधिक की अवधि के लंबित प्रकरणों का निपटारा प्राथमिकता से किया जाना सुनिश्चित किया गया है। यह प्रकरण 05 वर्ष की अवधि से लंबित था, जिसे नेशनल लोक अदालत के माध्यम से राजीनामा के आधार पर निराकृत किया गया ।

वहीं व्यवहार अपील प्रकरण क० 03/2022, पक्षकार हरसुख लाल चौहान वगैरह विरूद्ध पार्वती बेन वगैरह का प्रकरण अपीलार्थीगण के द्वारा उत्तरवादीगण के विरूद्ध ग्राम आमदी तहसील व जिला गरियाबंद छ0ग0 स्थित वादभूमि एवं उस पर स्थित मकान के प्रतिकूल कब्जे के आधार पर स्वत्व की घोषणा एवं स्थायी निषेधाज्ञा बाबत् पेश किया गया था। उक्त प्रकरण में उभयपक्ष को सूचना जारी कर नेशनल लोक अदालत दिनांक 09/09/2023 में आहुत किया गया । न्यायालय द्वारा उभयपक्ष को आपसी सहमति से प्रकरण का निपटारा किये जाने की समझाईश दी गई, जिस पर उभयपक्ष आपसी सहमति से प्रकरण को समाप्त किये जाने पर सहमत हुये, जिसके आधार उक्त प्रकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से राजीनामा के आधार पर निराकृत किया गया ।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के आदेशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के अध्यक्ष तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायपुर अब्दुल जाहिद कुरैशी के निर्देश पर अपर जिला एवं सत्र न्यायालय गरियाबंद किशोर न्याय बोर्ड गरियाबंद तथा राजस्व जिला गरियाबंद के राजस्व न्यायालयों एवं राजिम के न्यायालयों में 09 सितम्बर शनिवार को “नेशनल लोक अदालत” का आयोजन किया गया था। उक्त लोक अदालत हेतु तालुका विधिक सेवा समिति गरियाबंद द्वारा 04 खण्डपीठों का गठन किया गया था।

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