अंडा ,,, जहां एक ओर स्वस्थ शिक्षक को कुछ भी करने के लिये जी चुराते आपने देखा होगा पर एक दिव्यांग शिक्षक में सब कुछ कर गुजरने का हौसला किसी में हो यह कम दिखता है पर एक ऐसा दिव्यांग शिक्षक दिखे तो अचरज होता है पर डाॅ.शिवनारायण देवांगन “आस” जो शास.उ.मा.शाला अंजोरा (ख)दुर्ग के दिव्यांग व्याख्याता जीव विज्ञान में सब कुछ है। देवांगन की सादगी को देख कर जज कर पाना मुश्किल है ।आज व्हील चेयर में भी बड़ी उत्साह व हौसला से भरे नजर आते है इनका व्हील पावर का जितना तारीफ करे वो कम ही होगा। ये स्वयं के बजाय लोगों को आगे लाने निरंतर कार्य करते रहते है जो भी काम मन में ठान ले तो उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही रहते है।
शिवनारायण उच्च योग्यता एम.एस.सी., बी.एड.आयुर्वेद रत्न, पत्रकारिता,विद्या-वाचस्पति, मानद पी.एच.डी.,साहित्य-रत्न,आचार्य आदि) हासिल कर बहुआयामी कार्य को आज अंजाम दे रहा है शिक्षा, साहित्य, सांस्कृतिक, खेल,समाज सेवा या अन्य क्षेत्र सभी में पारंगत हैं । शिक्षक के दायित्व बहुत ही अच्छे से निर्वाह करते हुए बच्चों को जीवविज्ञान को जीवन विज्ञान से जोड़ कर व नवाचार द्वारा सरल भाषा में बताकर निपुण कर रहे है वही परिणाम शत प्रतिशत रहता है । शाला में शत प्रतिशत शिक्षण कार्य के अतिरिक्त हर गतिविधियों में हमेशा अग्रणी रहते है और बच्चों को प्रोत्साहित कर आगे बढ़ाने हमेशा प्रयासरत रहते वही कार्यालयीन कार्य मे भी पूर्ण दक्ष है और सबकी मदद करते रहते हैं । साहित्य के क्षेत्र में भी अच्छी पकड़ रखते है स्वयं की काव्य कृति “वक़्त ये कहता है” के प्रकाशन के साथ 30 से अधिक संकलन व संग्रह का सम्पादन व प्रकाशन कर चुके है। सांस्कृतिक क्षेत्र में बच्चों व शिक्षक को प्रोत्साहित करने नियमित कार्यक्रम का आयोजन कर मंच प्रदान कर रहे है सभी को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित करते है कई शिक्षक उन्ही के सहयोग से बड़े-बड़े सम्मान प्राप्त कर चुके हैं । समाज सेवा के क्षेत्र में भी जरूरतमंद को यथायोग्य सहयोग करते है किसी को आर्थिक सहयोग तो किसी को फीस का राशि तो किसी को पुस्तक कापी देकर सहयोग करते है कभी वृद्धा आश्रम तो कभी दिव्यांगों के बीच जाकर सहयोग कर समय व्यतीत करते है। शिवनारायण देवांगन अपने घर में पुस्तकालय भी बनाया है हजारो पुस्तक का संग्रह देखने व पढ़ने को मिलेगा जो प्रायः किसी किसी के घर ही मिल पायेगा । इसके अतिरिक्त भी आस हस्तकला, चित्रकला, नवाचार,कला, साहित्य, लेखन,खेल,सांस्कृतिक व पर्यावरण संरक्षण में भी हुनर रखते है। इस क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित व पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं पर सम्मान के लिये अपने से ना आवेदन देते है न मांग करते कार्य व उपलब्धि को देखकर ही सम्मानित करते है। शिवनारायण देवांगन कभी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नही मानते बल्कि उसे ध्यान न देते हुए हर पल कुछ कर गुजरने का हौसला लेकर काम करते रहते है। आज अपने अच्छे कार्य सरल स्वभाव व सादगी भरे जीवन से सभी को अपना बना लेते है बच्चे, शिक्षक साथी, जनप्रतिनिधि, समाज सेवक सभी इनके कार्य के तारीफ किये बिना नही रहते। आज साहित्यकार, संस्थापक, संयोजक, संचालक, समाज सेवक व शिक्षक सहित कई रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। शिक्षक कला व साहित्य अकादमी (शिकसा) सहित कई संस्था का गठन कर अनेक गतिविधियों को आयोजित करते आ रहे है सभी का जिक्र करना संभव नहीं है ।