खबर हेमंत तिवारी
राजिम।(पाण्डुका)पर्यावरण विभाग और खनिज विभाग के नियमानुसार 15 अक्टूबर तक नदियों से रेत का परिवहन बंद है जिसमें स्वीकृत खदानों के साथ-साथ किसी भी घाट से रेत निकासी नहीं की जानी है। क्योंकि वर्षा काल में इस तरह नदियों में कार्य बंद रहता है। पर हमेशा की तरह जिले में सक्रिय रेत चोरों के लिए यह नियम लागू नहीं होता क्योंकि जिस खनिज विभाग को और जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर साहब को नियम का पालन करवाना है वह सब जानते हुए इस नियम का पालन नहीं करवा रहे हैं सबको पता है कि इन खदानों में बिना स्वीकृति के अवैध रेत की निकासी दिन रात हो रही है जिसमें स्थानीय जन प्रतिनिधि सहित ग्राम
पंचायत सरपंच सचिव एवं ग्रामीणों के मिलीभगत से पैरी नदी का सीना चीरा जा रहा है ।जिसमें ग्राम पंचायत कुगदा ग्राम पंचायत कुटेना वा ग्राम पंचायत रावड शामिल है। कई महीना से इन अवैध रेत खदानों में चैन माउंटेन से रात और दिन रेत खोदाई कर हाईवा गाड़ी से रोज सैकड़ों ट्रिप अवैध रूप से परिवहन हो रहा है जिसमें सबका बराबर बराबर हिस्सा है । प्रति ट्रिप किसको कितना कमीशन मिलना है यह सब तय है इस यही वजह है कि कभी-कभी जब आवाज़ ज्यादा उठती है तो खनिज विभाग के अधिकारी खाना पूर्ति के लिए कार्रवाई कर देते हैं जो केवल दिखावे के लिए होता हैं ।यही वजह है कि इस जिले में रेत चोरों के खिलाफ अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है और शायद आगे भी कार्रवाई को उम्मीद नहीं दिख रही क्योंकि रेत का यह कारोबार रायपुर, धमतरी, दुर्ग, भिलाई आदि जगह फैले हुए हैं। और यह कहना गलत नहीं होगा कि खनिज अधिकारी ही इनका मेन लीडर है।तभी तो जानकर अपने घाट में कार्यवाही नहीं करते और आगे भी इसमें कोई लगाम नहीं लगाया जा सकता है। बे रोक-टोक चलते इस कारोबार में आपको हर प्रकार आदमी मिल जायेंगे जो इस कारोबार से जुड़े है। जानकर बताते हैं कि राजिम और पांडुका में तो कुछ लोग ऐसे भी है जो गाड़ी कौन से खदान में जाएगी ।उसको डाइवर्ट करने के लिए रात भर जागते हैं और गाड़ियों को उसका खदान में भेजते हैं जहां से उनका कमिशन फिक्स रहता है इस प्रकार या काला कारोबार धीरे-धीरे जिले में पैर पसार चुका है जिसे जिले के कलेक्टर और खनिज विभाग अब बंद नहीं करा सकते ।सड़कों में बेधड़क चलती यह हाईवा गाड़ी के खौफ इतना है की आम राहगीर देखकर सहम जाता है ।क्यों की पाण्डुका से लेकर राजिम तक सड़को की हालत बहुत खराब है।और साइड देने के चक्कर में रोज लोग परेशान होते रहते है।