खबर हेमंत तिवारी
छुरा/मौसम की मार एक बार अंचल में देखने को मिल रहा है। ऐसे में किसानो को एक बार फिर अपनी फसल बचाने तरह तरह के उपाय करने पड़ रहा है।क्यों की वर्ष वर्षा ऋतु का आगमन बड़े ही मनमोहक हुआ था जहां शुरुआती महीने में किसानों के मन मुताबिक पानी बरस रहा था जिससे किसानों ने बड़े ही उत्साह के साथ धान का खेती शुरू किया था लेकिन पिछले कुछ सप्ताह से बादलों ने मानों अपना रूख बदल दिया हो जिससे बारिश थम सा गया है इस स्थिति में वर्षा पर आधारित कृषक अपने सुखे हुऐ खेतों की हालत देख अपने आप को बेहद ही लाचार महसूस कर रहें है, अंचल के किसानों ने दवा,खाद, निदाई गुड़ाई कर अपने हिस्से का पुरा जोर लगा दिया है लेकिन वर्षा कि अनिश्चितता से आगे अब सबके कन्धें झुकने लगे हैं। हालत यह है कि खेतो में दरार आने लगे हैं और हरे धान के पौधे अब पीले पड़ कर मुरझाने लगे हैं।
सिंचाई के कुछ साधन होने पर भी लोग, लो-वोल्टेज से हैं परेशान
छुरा विकासखंड का रसेला क्षेत्र मुख्य रूप से खेती हेतु वर्षा पर निर्भर रहता हैं लेकिन कुछ किसानों के पास सिंचाई के लिए बोर आदि की सीमित सुविधा उपलब्ध होने पर भी वे बिजली की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति न होने से परेशान हैं लो-वोल्टेज से आलम ये हो गया है कि पंप से खेती के लिये पानी तो दुभर हो कर पीने के लिए पानी का भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
अब किसान एक ओर बिजली की आपूर्ति एवं लो वोल्टेज की समस्या दूर होने विद्युत विभाग की बाट जोह रहा है तो दुसरी तरफ ऊपर आसमान की ओर वर्षा के इंतजार में टकटकी लगाए बाट जोह रहा है। खत्म होने को है ऐसे में अब बारिश की संभावना भी दिखाई नहीं पड़ती जिसको लेकर आंचल सहित विकासखंड छूरा के विभिन्न क्षेत्रों में भी किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ-साफ दिखाई दे रही है। तो वही किसानों ने धान की अच्छी फसल लेने के लिए अपनी सारी जमा पूंजी खेतों में लगा दी है ऐसे में सेठ साहूकार के पास अब पैसा उधार लेकर अपने फसल को बचाने की जतन अपना रहे हैं इन किसानों के पास सिंचाई के साधनों का अभाव है ना तो कृषि विभाग द्वारा इन्हें किसी प्रकार का पंप मिला है ना ही बिजली का कोई सही बंदोबस्त है। एसे में कर्णधार किसान अब बेबस नजर आ रहा है।और इन्हे शासन प्रशासन से गुहार लगाई है। और मदद की आश लगाए बैठे है।