रवेंद्र दीक्षित की खबर,,,,
**छुरा@@@@@* छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से महज 36 किमी दूर स्थित मां घटारानी मां जतमाई के मध्य वनांचल ग्राम पंचायत मड़ेली के आश्रित ग्राम बिहावझोला मेंं प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र अघोर पीठ श्री महाऔघड़ेश्वर नाथ दरबार, 13 वें ज्योतिर्लिंग धाम के रूप में अघोर मठ बिहावझोला मड़ेली छुरा जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़ महाकौशल क्षेत्र में स्थापित है। सावन सोमवार और अन्य खाश दिनों में मंदिर में सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। देश के बड़े-बड़े राजनेता भी विश्व के 13 वें व छत्तीसगढ़ के एक मात्र ज्योतिर्लिंग धाम अघोर मठ बिहावझोला मड़ेली छुरा जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़ महाकौशल क्षेत्र में भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर चुके हैं। 10जुलाई 2023 दिन सोमवार कालाष्टमी तिथि को महाअघोड़ेश्वर 13वें ज्योतिर्लिंग की तृतीय स्थापना दिवस पूजा-अर्चना, आरती, श्रृंगार दर्शन के साथ स्थापना दिवस पर्व एवं भोग भंडार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। उत्सव की शुरुआत अघोड़ मठ के संस्था प्रमुख बाबा जी के आशिर्वाद, मार्गदर्शन से अघोड़ मठ में विराजमान विश्व के 13 वें ज्योतिर्लिंग महाऔघड़ेश्वर ज्योतिर्लिंग के स्थापना दिवस सम्मपन हुआ। छत्तीसगढ़ में एकमात्र व विश्व का वह विशिष्ट महाऊर्जावान स्थान है जहां विगत अनेक वर्षों से अनवरत लगातार अग्निहोत्री व “श्री यज्ञ” अनुष्ठान हो रहा है।श्री अघोर मठ बिहावझोला मड़ेली छुरा जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़ यह क्षेत्र एक शक्ति पीठ “श्री धाम” है जो विश्व के 13 वें ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित “अघोर शक्ति पीठ” है। इसके साथ ही ” अनादिशक्ति परमचैतन्य परम सामर्थ्य परम प्राण” जो महाज्योति स्वरुप” है। 13 वें ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित है। यह विश्व में 13 वें व “महादेव महाशक्ति” के मूल स्वरूप” अघोर, महाप्राण महागुरु की महाऔघड़ेश्धर ज्योतिर्लिंग” स्वरुप में स्थापना है। इस स्थान में सम्पूर्ण विश्व जगत व समस्त जीव जातियों के कल्याण, उन सभी के सुख शान्ति, समृद्धि, प्रसन्नता, आरोग्यता व विश्व कल्याण की कामना से श्री यज्ञ अनुष्ठान अनवरत हो रहा है। यह हम सभी के साथ पूरे छत्तीसगढ़, भारतभूमि व ब्रम्हांड में गौरवपूर्ण, सौभाग्य व प्रसन्नता की बात है। यह धन्यवादित होने का संदेश है, जो “बाबा औघड़ नाथ जी की कृपा व बाबा रुद्रानंद प्रचंडवेग नाथ जी” की तपस्या से संभव हुआ है। आप सभी व अपने परिवारजनों के साथ इस महाअनुष्ठान श्री यज्ञ में शामिल हुए। आप सभी का”अघोर पीठ श्री धाम” व 13 वें ज्योतिर्लिंग महाऔघड़ेश्वर ज्योतिर्लिंग धाम” में स्वागत है। “नमो आदेश” इस महोत्सव में हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु प्रथम सोमवार सावन को समर्पित एक से बढ़कर गीत और नृत्य से ऐसा रंग जमाया कि वहां उपस्थित भक्त जन अपने आप को रोक नहीं सके और जमकर धमाल मचाए । संस्था से जुड़े सभी सदस्यों ने इस मौके पर सभी सम्माननीय बड़े बुजुर्ग, महिलाएं, युवा साथियों एवं बच्चों का स्वागत किया। सभी सम्माननीय अध्यात्म में विलीन हो गये। अघोड़ मठ के संस्था प्रमुख ने बताया कि ज्योतिर्लिंग शब्द का अर्थ है प्रकाश स्तंभ। पुराणों के अनुसार, भगवान एक ज्योति के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। पृथ्वी पर 12 अलग-अलग जगहों पर दिव्य ज्योति के रूप में परमपिता परमेश्वर स्वयं विराजित हुए थे और इन्हीं जगहों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।बाबा जी ने आगे कहा *ज्योतिर्लिंग क्या है?* यदि आप शिव पुराण पढ़ें तो वहां एक कथा का वर्णन है जिसके अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु भगवान में बहस छिड़ गई कि कौन सर्वश्रेष्ठ है। दोनों ही अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बताने लगे और इस समस्या का हल निकालने के लिए भगवान शंकर एक प्रकाश स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा जी से जब इस प्रकाश स्तंभ का कोई भी एक सिरा ढूंढने को कहा गया तो भगवान विष्णु ऊपर की ओर और ब्रह्माजी नीचे की ओर गए परंतु दोनों ही इस कार्य में असफल रहे। बाद में शिवजी ने इस प्रकाश स्तंभ को पृथ्वी पर गिरा दिया जिसे आज आप और हम ज्योतिर्लिंग के नाम से पुकारते हैं।इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में श्री मति लक्ष्मी गजेन्द्र ठाकुर (सरपंच), धर्मेंद्र चन्द्राकर, पारश सोनी,विनय, धीरज शुक्ला, अविनाश पांडे,भुवन, जयराम, गजेन्द्र ठाकुर, तेजराम निर्मलकर, यादराम निषाद,गेवर साहू,चमन सिन्हा,खलेश साहू, गुंजा ठाकुर, सीमा निषाद,पल्लवी निर्मलकर, हेमसिंग सिन्हा, संतोषी सिन्हा, ग्रामीणजन एवं आसपास के श्रद्धालुगण अधिक संख्या में उपस्थित रहे।