पाटन। विकासखण्ड पाटन के ग्राम सेलूद, गोंड़पेंड्री, छाटा, परसाही, मुड़पार,चुनकट्टा,पतोरा,अचानकपुर,ढौर,धौराभांठा में दर्जनों चुना पत्थर खदान एवं क्रेशर संचालित है। इन क्रेशरों से निकलने वाले धूल के गुबार से राहगीर बेहद परेशान हैं। क्रेशरों की शिकायत कई बार प्रदूषण विभाग एवं खनिज विभाग, राजस्व विभाग से की गई पर न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही इनके द्वारा कोई सुधार किया गया। शिकायत के बाद कभी कभार खानापूर्ति के नाम पर जांच किया जाता है। जिसके कारण गिट्टी खदान संचालक बेधड़क खदान और क्रेशर संचालित कर रहे है। दिन और रात क्रेशर चलने से हमेशा धूल की गुबार उड़ते रहता है। हालात यह हैं कि धूल के गुबार इस कदर रहते हैं कि सुबह सुबह राहगीरों को सामने से आने वाली गाड़ियां भी दिखाई नहीं देतीं।
जानकारी के बावजूद भी कार्यवाही नही….
इतना ही नही इस तरह की घटना के बारे में कई बार अधिकारीयो को अवगत कराया गया , फिर भी इस ओर कार्यवाही नहीं होना समझ से परे है। जिससे क्रेशर संचालक की मनमानी चरम सीमा पर है। यहाँ तक क्रेशर संचालक शासन के मानकों को मानने तैयार नही है। क्रेशर संचालको के लिए शासन ने जो नियम निर्धारित किया है उसका उद्ददेश् क्रेशर मशीनों के आसपास ग्रमीणों को प्रदूषण से बचाना है। इतना ही नही क्रेशर संचालन को लाइसेंस देते समय यह दिशा निर्देश का पालन अनिवार्य है। वही क्रेशर संचालन का लाइसेंस लेते समय क्रेशर प्लांट के संचालको को नियमो का पालन करने का हवाला लिखित में देते है लेकिन लाइसेंस मिलने के बाद क्रेशर संचालको की मनमानी देखते ही शुरू हो जाती है।
विभाग का कार्यवाही न करना एक बड़ा सवाल ….
वही शासन द्वारा जारी गाइडलाइन का किसी भी तरह से पालन नही होने के बाद इस तरह से विभाग का कार्यवाही न करना बड़ा सवाल है। क्रेशरों से बड़ी मात्रा में धूल के कण दिन रात निकलते रहते है वही इससे आसपास के वातावरण में धूल के गुबार से वहाँ से गुजरने वाले राहगीरों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्रेशर संचालक के द्वारा लगातार नियमो की अनदेखी करने के बाद भी शासन के अधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार के कार्यवाही नही होने से संचालक के हौसले बुलंद है। सेलूद अंचल में संचालित क्रेशर प्लांट के संचालक ने न तो पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से अपने क्रेशर प्लांट में नियम के मुताबिक पौधारोपण किया है। और न ही क्रेशर के परिछेत्र में जहा पत्थर तोड़ने की मशीन लगाई गई है वहाँ के आसपास पानी का छिड़काव भी नही किया जाता है।