गोंड़पेंड्री में आयोजित जनसुनवाई में ग्रामीणों ने कहा चुना पत्थर खदान नही खुलना चाहिए


पाटन। क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल भिलाई द्वारा ग्राम गोंड़पेंड्री में गुरुवार को हाई स्कूल प्रांगण में जनसुनवाई का आयोजन किया गया जिसमें मेसर्स श्याम वेंचर्स गोंड़पेंड्री को चुना पत्थर उत्खनन हेतु पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करने के सम्बंध में आयोजित किया था।
जनसुनवाई अपर कलेक्टर पद्मिनी भोई, तहसीलदार टिकेश्वर साहू, विजय सिंह क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण समिति की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। ग्रामीणों ने बारी बारी से आकर खदान संचालन से पर्यावरण के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कहा। माईक के माध्यम से ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि गाँव मे अब और खदान संचालन की अनुमति नही दिया जाये।
ग्रामीणों ने कहा कि पहले से संचालित खदानों में पर्यावरण विभाग द्वारा जारी किए गए नियमों का पालन नही किया जाता जिसके कारण पूरा गांव धूल के गुबार से त्रस्त है।


खदानों में स्थानीय ग्रामीणों को नही मिलता रोजगार
जनसुनवाई में शामिल ग्रामीणों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि गोंड़पेंड्री में आधा दर्जन से अधिक चुना पत्थर खदान एवं क्रेशर संचालित है। इन सभी खदानों में स्थानीय बेरोजगारों का रोजगार नही दिया जाता।
हाथ मे तख्ती लेकर विरोध करने पहुंचे ग्रामीण
खदान संचालन के लिए अनुमति नही दिए जाने का विरोध करने पहुंचे ग्रामीणों ने हाथ मे तख्ती लेकर नारेबाजी करते हुए जनसुनवाई स्थल पहुंचे। ग्रामीण एक स्वर में खदान नही खोले जाने का विरोध करते रहे। ग्रामीणों द्वारा किये जा रहे विरोध को देखते हुए तत्काल अतिरिक्त पुलिस बल तैनात की गई। समझाइश के बाद ग्रामीण माईक के माध्यम से जनसुनवाई में विरोध दर्ज करवाये।
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने दी चेतावनी
जनसुनवाई में ग्रामीणों के पक्ष में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। क्रांति सेना ने स्पस्ट कहा कि ग्रामीणों के विरोध के बाद भी गाँव मे खदान खोला जाता है तो क्रांति सेना जमकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। जिसकी जवाबदारी प्रशासन की होगी।
खदान मालिक अपने पक्ष में बोलने ग्रामीणों को दिए मोटी रकम
गुरुवार को हुए जनसुनवाई में ग्रामीणों ने खदान मालिक के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा कि गाँव मे खदान खोले जाने अपने पक्ष में बोलने के लिये ढाई हजार रुपये दिए जाने का आरोप अधिकारियों के सामने लगाए।
ग्रामीणों द्वारा लगातार किये जा रहे विरोध के बाद अपर कलेक्टर ने ग्रामीणों को समझाया कि पर्यावरणीय स्वीकृति के बाद ही खदान संचालन की अनुमति मिलेगी। आप सब अपने बात रखें। हम आपकी बात सुनने ही यहां आए है।

जिम्मेदार अधिकारियों ने ही नही लगाए मास्क
राज्य सरकार द्वारा विगत दिनों मास्क अनिवार्य किया गया है। सुनवाई स्थल में मास्क लगाने के लिये जगह जगह पोस्टर भी लगाए थे। लेकिन अधिकारी खुद ना तो मुंह पर मास्क लगाए हुए थे और ना सैनिटाइजर था। एक तरफ सरकार जहां लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहने की नसीहत देती हैं, वहीं उनके अधिकारी धज्जियां उड़ाते दिखाई दे रहे हैं।

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