- देश विदेश में एक्वेरियन की काफी डिमांड, माँग की तुलना में आपूर्ति काफी कम
- रंगीन मछलियों का उत्पादन काफी आसान, आसान तकनीक से उत्पादन संभव, लाभ की संभावना बहुत अधिक
दुर्ग। आर्नामेंटल फिशिंग पर सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक फिश कीपिंग अर्थात एक्वेरियम में रंगीन मछलियां रखने का शौक दुनिया में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी हाबी है। देश में भी और विदेशों में भी रंगीन मछलियों की डिमांड बहुत है लेकिन इसका उत्पादन बहुत कम है। गौठानों में इसे अपनाने को लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा मत्स्य विभाग ने इस बड़े मार्केट से हितग्राहियों को जोड़ने प्रयास तेज कर दिये हैं। चंदखुरी गौठान में एक्वेरियम के लिए रंगीन मछलियां तैयार की जा रही हैं। मत्स्य विभाग ने इसके लिए मत्स्य दिये थे और अब इन मछलियों के बच्चे भी तैयार हो रहे हैं। जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जोर गौठानों में नवाचार पर है। इसके लिए कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के निर्देश पर मत्स्य विभाग के सहयोग से चंदखुरी में स्वसहायता समूह की महिलाओं को आर्नामेंटल फिशिंग के लिए तैयार किया गया है। उपसंचालक मत्स्य श्रीमती सुधा दास ने बताया कि आर्नामेंटल फिशिंग के क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं क्योंकि इसे विकसित करने के लिए सरकार द्वारा काफी बड़ी मात्रा में सब्सिडी प्रदान की जा रही है। तीन लाख रुपए का छोटा सा यूनिट लगाएं तो सरकार की ओर से इसके प्रमोशन के लिए सामान्य वर्ग के लोगों को एक लाख बीस हजार और एससीएसटी वर्ग के लोगों के लिए 1 लाख 80 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने बताया कि इसका उत्पादन भी बहुत आसान है। ऑक्सीजन सप्लाई बस करनी है कुछ तकनीकी पैरामीटर पर नजर रखनी है जो बिल्कुल सामान्य हैं। मत्स्य विभाग के अधिकारी नियमित रूप से इसके लिए तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।
प्रारंभिक स्तर पर ही दो लाख रुपए तक के आय की संभावना- चंदखुरी गौठान में रंगीन मछलियों का उत्पादन जय शक्ति स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। समूह की अध्यक्ष दीपिका चंद्राकर ने बताया कि हमने अभी 500 मछलियां पाली हैं। ये मछलियां बच्चा भी दे रही हैं। एक पीस की कीमत 20 रुपए होती है। इस प्रकार इनका तेजी से उत्पादन होने से लाभ की काफी संभावना है। गौठान समिति के अध्यक्ष मनोज चंद्राकर ने बताया कि कोलकाता में इसका बड़ा मार्केट है। हम एक्वेरियम भी तैयार करने की सोच रहे हैं ताकि इसे सी-मार्ट जैसे माध्यमों से बेचा जा सके। सचिव कामिनी चंद्राकर ने बताया कि आरंभिक स्तर पर एक लाख रुपए से दो लाख रुपए तक आय की संभावना बनती है।
गप्पी, मौली और स्वार्ड टेल जैसी मछलियों का हो रहा उत्पादन- अभी यहां गप्पी, मौली और स्वार्ड टेल जैसी मछलियों का उत्पादन हो रहा है। मत्स्य निरीक्षक स्वीटी सिंह ने बताया कि हर पंद्रह दिन में मछलियों की ग्रोथ पर नजर रखी जा रही है। चंदखुरी में हो रहा यह प्रयोग सफल रहा है। इससे बड़ी उम्मीद जगी है। उन्होंने बताया कि आर्नामेंटल फिश के उत्पादन के लिए बहुत तकनीकी दक्षता जरूरी नहीं है। सामान्य ट्रेनिंग से ही इसे सीखा जा सकता है।