छुरा……- हिंदी भाषा के प्रचार एवं प्रसार के लिए तथा लोगों में हिंदी भाषा को जागरूक करने के उद्देश्य से आईएसबीएम विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप मे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आनंद महलवार उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की छायाप्रति की पूजा अर्चना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हिंदी के प्राध्यापक डायमंड साहू ने हिंदी की उत्पत्ति एवं विकास को बताते हुए,इसे वैश्विक स्तर पर विस्तार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अभिभावकों का कर्तव्य है,की हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा न बनने पर अफसोस ना करें बल्कि बच्चों में शुरू से भाषा संस्कार डालें और जागरूक नागरिक का दायित्व निभाते हुए इसका अधिक से अधिक प्रयोग करें। हिंदी भाषा कश्मीर से कन्याकुमारी, संसद से सड़कों और साहित्य से सिनेमा तक प्रत्येक स्थान और संवाद में सबसे बड़ा पुल बनकर सामने आती है। प्राध्यापक कामेश यादव ने हिन्दी भाषा की गौरव गाथा को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. आनंद महलवार ने अपने उद्बोधन में कहा कि 19वीं शताब्दी में स्वतंत्रता की लड़ाई में हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। हिंदी भाषा खड़ी बोली का परिष्कृत स्वरूप है। हिंदी का विकास ना होने का कारण राजनीतिक नेतृत्व की कमी है। भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन करना कठिन है। हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। भाषा विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। अकादमिक प्रमुख डॉ. एन के स्वामी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सबके लिए हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का बहुत महत्त्व है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। आज के आधुनिक युग में हमें अंग्रेजी भाषा भी सीखना जरूरी है। हमारा किसी भाषा से कोई लड़ाई नहीं है,लेकिन हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए। कार्यक्रम का सफल संचालन कला एवं मानविकी संकाय के प्रमुख डॉ. भूपेन्द्र कुमार ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी संकायों के प्रमुख, समस्त प्राध्यापक एंव विद्यार्थी उपस्थित थे।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।